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भरत अपने छोटे भाई बाहुबली की असफल तपस्या का कारण उसके मन में फंसी पराये राज्य' में खड़े होने के क्षोभ की भावना को जानकर उसकी मुक्ति के लिये राज्य-सिंहासन अर्पण करता है। सम्भव है कि भारत की अन्यान्य पौराणिक कथायें, और हो सकता है कई विदेशी कथायें, भी किसी एक ही मूल सत्य पर आधारित हों। 7. सोमत्व', मोहर क्रमांक 2420, 104811 य सोमामृत/य सोमामरण/सोमामर
सोम जो अमर है अथवा सोम में जो अमर है। सिर पर सींग धारण किये हुए तीन दृश्यमान चेहरे युक्त आसन पर विराजमान व्यक्ति जिसे पाँच जीवों ने घेरा हुआ है। दायीं
ओर से पशुओं का क्रम में गेंडा, भैंसा, मृग, शेर और हाथी। मृग की उपस्थिति के विषय में उल्लेखनीय है कि 'वह' युगल रूप में आसन के नीचे, विपरीत दिशाओं में गर्दन घुमाये हुए दशयि गये हैं। मानों वे उपरोक्त व्यक्तित्व के वाहन के प्रतीक हों।
यहाँ सोम, चन्द्र के माध्यम से शिव के व्यक्तित्व से जुड़ता है। और शिव अपनी मूल अवधारणा में ऋषभ के पर्यायवाची प्रतीत होते हैं। इससे क्या हम निष्पत्ति निकाल सकते हैं कि सोमत्व ही शिवत्व या केवलज्ञान अथवा अमृत है? इसीप्रकार यदि ऋषभदेव को, ऐतिहासिक अवधारणा से ऊपर उठकर पहचानने का प्रयास करें, तो क्या वे दिन रात की तरह दो विपरीत मगर समान कालखण्डों के, सूर्योदय अथवा दूज के चांद के समान मिलन बिन्दु का मानवीकरण हैं? । ____8. मेधिवृत में जुते हुए पशुओं, मुक्त होओ", (धौलावीरा, कच्छ, गुजरात की गढ़ी के उत्तरी द्वार पर अंकित धर्म-संदेश) मेधिवृत जग प्रवृत पशु भव भ्रम् वृत, पशुवत होकर मानव समाज (जग) मेघिवृत में जुतकर चक्कर लगाता है।
यह संदेश हड़प्पा के दस चिह्नों के माध्यम से उपरोक्त द्वार के शीर्ष पर, मोजाइक' पद्धति से सम्भवत: काष्ठ-फलक पर बनाया गया था, जो पुरातत्त्ववेत्ता डॉ० आर० बिष्ट को द्वार मार्ग के पास वाले बरामदे में उलटा पड़ा मिला है। जैसा कि वाचन-प्रयास से उपलब्ध शब्दों से ज्ञात होता है, धर्म-संदेश का यह मात्र आधा भाग है, दूसरा पूर्ण करनेवाला शेष भाग, द्वार मार्ग के दूसरी ओर अंकित रहा होगा, या फिर इस फलक के नीचे एक दूसरी पंक्ति भी लिखी गई होगी जो अब नष्ट हो गई है। संदर्भ-सूची 1. 'द इण्डस स्क्रिप्ट', इरावती महादेवन, भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण निदेशालय, नई
दिल्ली, 1997. 2. संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी', सर मोनियर विलियम्स, मुंशीराम मनोहरलाल पब्लिशर्स
प्रा०लि०, नई दिल्ली, तृतीय पुनरावृत्ति, 1998. 3. जैन सब्जेक्ट मैटर ऑन द हड़प्पन सील्स', डॉ. रमेश जैन, ऋषभ सौरभ, ऋषभदेव
प्रतिष्ठान, नई दिल्ली, 1992, पृ0 113-116.
प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर 2000
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