________________ (भारत सरकार पंजीयन संख्या 48869/89) राजगृह में भगवान् महावीर के समवसरण में जाते हुये पथिकों को जलपान कराती बालिका "पायन्त्यिध्वगान् गीत्वा बालिका जलमेकशः। पुनस्तास्ते न मुञ्चन्ति केतकी भ्रमरा इव।।" -(धर्मसंग्रह श्रावकाचार, 7/109) प्रिंटिड प्रिथा ऑफसेट प्रा. लि. दूरभाषः 5708654-55 अर्थः- मगध देश की कुलकुमारी-बालिकायें मार्ग में चलने वाले लोगों को मधुर-मधुर गीतों को गाकर जल पिलाती हैं। इसी से पथिक लोग भी फिर उनके जलपान को उसी - प्रकार नहीं छोड़ते हैं, जैसे केतकी पुष्प को भ्रमर नहीं छोड़ते हैं।