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एवं प्राकृतभाषा की अच्छी विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित पज्जुण्णचरिउ' शीर्षक लेख आपका है। आप प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन की सहधर्मिणी हैं।
स्थायी पता—महाजन टोली नं0 2, आरा-802301 (बिहार)
8. डॉ० रमेशचंद जैन आप भी जैनदर्शन के गवेषी विद्वान् है। संप्रति आप जैन कॉलेज, बिजनौर (उ०प्र०) में संस्कृत एवं जैनदर्शन के विभागाध्यक्ष हैं।
इस अंक में प्रकाशित 'हड़प्पा की मोहरों पर जैनपुराण ओर आचरण के सन्दर्भ' नामक आलेख आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—जैन मंदिर के पास, बिजनौर-246701 (उ०प्र०)
9. डॉ० उदयचंद जैन सम्प्रति सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज०) में प्राकृत विभाग के अध्यक्ष हैं। प्राकृतभाषा एवं व्याकरण के विश्रुत विद्वान् एवं सिद्धहस्त प्राकृत कवि हैं।
इस अंक में प्रकाशित साहू असोग (साहू अशोक)' शीर्षक की प्राकृत कविता आपकी लेखनी से प्रसत हैं।
स्थायी पता—पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज०)
10. डॉ० (श्रीमती) माया जैन आप जैनदर्शन की अच्छी विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित भाषा परिवार और शौरसेनी प्राकृत' शीर्षक आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है।
स्थायी पता—पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज०)
11. डॉ० सुदीप जैन श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में प्राकृतभाषा विभाग' में उपाचार्य एवं विभागाध्यक्ष हैं। तथा प्राकृतभाषा पाठ्यक्रम के संयोजक भी हैं। अनेकों पुस्तकों के लेखक, सम्पादक। प्रस्तुत पत्रिका के 'मानद सम्पादक'। इस अंक में प्रकाशित सम्पादकीय', के अतिरिक्त दशलक्षण धर्म' एवं 'आषाढी पूर्णिमा : एक महत्त्वपूर्ण तिथि' शीर्षक आलेख आपके द्वारा लिखित हैं।
स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030
12.श्रीमती रंजना जैन आप प्राकृतभाषा, जैनदर्शन एवं हिन्दी-साहित्य की विदुषी लेखिका हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख यति-प्रतिक्रमण की विषयगत समीक्षा' आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030
13. स्नेहलता जैन आप अपभ्रंश की शोधछात्रा हैं। इस अंक में प्रकाशित 'भारतीय सांस्कृतिक व भाषिक एकता' शीर्षक आलेख आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता-14/35, शिप्रापथ, मानसरोवर, जयपुर-302020 (राज०)
14.श्रीमती मंजूषा सेठी आप प्राकृतभाषा एवं साहित्य की अच्छी विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख ईसापूर्व के महत्त्वपूर्ण शिलालेखों की भाषा में तत्कालीन शौरसेनी प्राकृत का प्रभाव' लेख आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—सी-9/9045, वसंतकुंज. नई दिल्ली-110070
15.प्रभात कुमार दास आप प्राकृतभाषा एवं साहित्य के शोधछात्र हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'प्राचीन नाटकों में प्रयुक्त प्राकृतों की सम्पादकीय अवहेलना' लेख आपके द्वारा लिखित है।
पत्राचार पता शोधछात्र प्राकृतभाषा विभाग, श्री ला०ब०शा०रा०सं० विद्यापीठ, नई दिल्ली-16