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कपिल कपूर (कुलानुदेशिक, ज०ला०ने० विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) एवं श्री अनंतसागर अवस्थी (विशेष सचिव शिक्षा, दिल्ली सरकार ) आदि का सारस्वत अवदान भी उल्लेखनीय रहा । 'समापन सत्र' के अध्यक्ष विश्वविख्यात शिक्षाविद् प्रो० वाचस्पति उपाध्याय (कुलपति, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली) ने अपने उद्बोधन से समागत विद्यानुरागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस सत्र के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध समाजसेवी साहू रमेशचन्द्र जी जैन थे। इस कार्यशाला का सफल संचालन डॉ० सुदीप जैन ने किया ।
इस कार्यशाला में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित दिल्ली के प्रमुख शिक्षा संस्थानों के अध्यापकों, शोधार्थियों एवं जिज्ञासु लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया । अंत में विधिवत् नामांकित प्रविष्टुजनों को प्रमाणपत्र वितरित किये गये । इस कार्यशाला के सहसंयोजक संस्थान 'भारत संस्कृत समवाय' के सचिव डॉ० संतोष कुमार शुक्ल, कुन्दकुन्द भारती के डॉ० वीरसागर जैन एवं डॉ० जयकुमार उपाध्ये का सहयोग भी उल्लेखनीय रहा। -सम्पादक ** डॉo जयकिशन प्रसाद खण्डेलवाल को 'आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी सम्मान'
डॉ० जयकिशन प्रसाद खण्डेलवाल, निदेशक – वृन्दावन शोध संस्थान, मथुरा को उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के रायबरेली ( उ०प्र० ) में सम्पन्न वार्षिक अधिवेशन (30.9.2000) के अवसर पर आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान आलोचना साहित्य में विशिष्ट योगदान हेतु दिया गया । प्राकृतविद्या - परिवार की ओर से बधाई ।
-सम्पादक **
श्रवणबेलगोल में 'चन्द्रगिरि चिक्कबेट्टा महोत्सव - सम्पन्न ' श्रवणबेलगोला में केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मन्त्री श्री अनन्त कुमार ने 'चन्द्रगिरिचिक्कबेटा महोत्सव' का उद्घाटन करते हुए कहा कि पुरातत्त्व महत्त्व की हमारी धरोहर महत्त्वपूर्ण एवं बहुमूल्य है, इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है । इस क्षेत्र की पुरातत्व निधि के संरक्षण के लिए एवं क्षेत्र द्वारा संचालित प्राकृतभाषा शोध संस्थान' व अन्य संस्थाओं के विकास के लिए केन्द्र भरपूर सहयोगी देगा। अपने आशीर्वचन में भट्टारक चारुकीर्ति स्वामी जी ने कहा कि चन्द्रगिरि तपो भूमि है, जहाँ से अनेक मुनियों ने संयमसाधना द्वारा सल्लेखनापूर्वक स्वर्गारोहण किया है।
महोत्सव समिति के अध्यक्ष साहू रमेश चन्द्र जैन ने 2300 वर्ष पूर्व श्रुतकेवली आचार्य भद्रबाहु और सम्राट् चन्द्रगुप्त मौर्य के दक्षिण आगमन का उल्लेख करते हुए चन्द्रगिरि' के महत्त्व को रेखांकित किया। इस महोत्सव में कन्नड़, हिन्दी, मराठी, तमिल और अंग्रेजी के 108 ग्रन्थ प्रकाशित किए जायेंगे, जिनमें से अभी तक ग्यारह ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं । तथा संगोष्ठियों के द्वारा भी 'चन्द्रगिरि' के इतिहास को प्रचारित किया जाएगा। सभा में आचार्य श्री विद्यानन्द जी का आशीर्वाद संदेश पढ़कर सुनाया गया ।
समारोह में भट्टारक भुवनकीर्ति, कनकगिरि भट्टारक धवलकीर्ति, अरिहंतगिरि, सतीश जैन (आकाशवाणी) आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे । – रमेश कुमार जैन **
प्राकृतविद्या+अक्तूबर-दिसम्बर 2000
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