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________________ यह एक विश्वविख्यात शिक्षाप्रद कथा है, जो कि ‘णायाधम्मकहा' नामक श्वेताम्बर जैन-ग्रंथ में, मूलसर्वास्तिवाद के विनयवस्तु' नामक बौद्धग्रंथ में तथा ईसाईधर्म के पवित्र ग्रंथ 'बाईबिल' में भी पायी जाती है। आचाम्ल तप : कायशुद्धि का अचूक साधन “आयंबिलेण सिंभं खीयदि पित्तं च उवसमं जादि । वादस्स रक्खणठें ऍत्थ पयत्तं खु कादव्व ।।" __ -(आचार्य शिवार्य, भगवती आराधना, 454) आचाम्ल तप (आयंबिल) से कफ़' का क्षय होता है, पित्त' शान्त होता है और 'वात' से रक्षा होती है। (इसप्रकार शरीर के तीनों दोषों का नाशक होने से) आचाम्ल तप के सेवन का प्रयत्न करना चाहिये। ____ 'आचाम्ल तप' को प्राकृत में 'आयंबिल' कहा जाता है, और इसी नाम से यह जैन समाज में प्रचलित है। इसमें मोटे चावल को पकाकर ऊनोदर' (भूख से कम भोजन) के रूप में नमक एवं छाँछ (मट्ठा) के साथ सेवन किया जाता है। अन्य कुछ भी नहीं खाते हैं। लगातार आठ दिन तक ऋतु-परिवर्तन के समय इसका पालन करने से समस्त शारीरिक विकारों को नष्ट करके रक्तशुद्धि, उदरशुद्धि-पूर्वक शरीर फूल की भाँति हल्का एवं मनोविकार (काम, क्रोध आदि) से शून्य बनाकर प्रसन्नचित्त हो जाता है। इसप्रकार यह धर्मसाधना में भी उपयोगी महत्त्वपूर्ण साधन है। इसीलिए इसे जैन-परंपरा में स्थान प्राप्त है। ___ गरिष्ठ बासमती चावल की जगह सादा परमल (मोटा) चावल स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। आधनिक विज्ञान भी इस तथ्य को स्वीकार करती है। पंजाब केसरी' (हिन्दी दैनिक, दिल्ली संस्करण, 31.10.2000) के अनुसार चावल संसार के आधे भाग में मुख्य भोजन के तौर पर प्रयुक्त होता है। “चावल हल्का और जल्दी हजम हो जाने वाला आहार है, जिस पानी से यह पकाया जाता है, वह घोल (मांड) भी उपयोगी होता है। तीन हजार वर्ष पहले हमारे देश की संस्कृत-पुस्तकों में जिक्र था कि मांड शिशुओं के अतिसार (दस्तरोग) में फायदा पहुँचाता है। पश्चिम के वैज्ञानिकों ने आज उसकी पुष्टि की है। एक लीटर पानी में दो मुट्ठी चावल, एक चम्मच नमक के साथ पकाकर जो पतला मांड तैयार किया जाता है, वह शिशुओं के 'अतिसार' रोग में काम आता है। - न्यूयार्क में एक अध्ययन से पता चला है कि चावल से रक्तचाप के साथ-साथ वजन भी कम किया जा सकता है। जापानी वैज्ञानिकों ने पाया है कि चावल अंतड़ी में अवांछित कैल्शियम को सोख लेता है और मूत्राशय में पथरी नहीं होने देता। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि जो लोग ज्यादा चावल खाते हैं, उन्हें कोलोन, ब्रैस्ट तथा प्रास्ट्रेट कैंसर नहीं होता। भूरा अथवा मोटा चावल पालिशदार बारीक चावल के मुकाबले अधिक लाभकारी होता है।" ** प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2000 4073
SR No.521363
Book TitlePrakrit Vidya 2000 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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