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________________ सुयोग्य बहू –श्रीमती अमिता जैन 'आय-व्ययमुखयोर्मुनि-कमण्डलुरेव निदर्शनम् ।' __ -(आ० सोमदेवसूरि, नीतिवाक्यामृत जैन अर्थशास्त्र, 18/6) प्राचीनकाल में मगध प्रान्त की राजधानी 'राजगृह' थी। उसमें 'धन्य' नामक एक सार्थवाह (बड़ा व्यापारी) था। अपनी बुद्धि एवं व्यापार-कौशल के कारण वह 'नगरसेठ' बन सका था। उसे आये दिन व्यापार के निमित्त विदेश जाना पड़ता था। उसका परिवार भी पुत्र-पौत्रों से सम्पन्न था और सभी लोग एक साथ मिलकर रहते थे। व्यापार के कार्य में उसके चारों पुत्र तो सुयोग्य निकले तथा पिता का अच्छी तरह हाथ बँटाते थे, किन्तु • घर की चिंता उसे सताती रहती थी। क्योंकि उसकी चारों पुत्रवधुयें अलग-अलग परिवारों से थीं। उनमें से कौन गृहस्वामिनी' का पद संभालने के लिए सुयोग्य है? – इसका निर्णय करके वह घर के दायित्व से भी चिन्ता-मुक्त होना चाहता था। इस बात का निर्णय करने के लिये उसने एक दिन अपनी चारों पुत्रवधुओं को अपने पास बुलाया तथा समस्त परिजनों के सामने उन चारों को पाँच-पाँच चावल के दाने दिये और कहा कि “मेरी बेटियो ! तुम इन चावल के दानों को संभालकर रखना, जब मुझे जरूरत होगी, तो मैं तुम लोगों से माँग लूँगा।" चारों पुत्रवधुओं ने अपने ससुर जी की आज्ञा को सिर झुकाकर स्वीकार किया और उन चावलों को लेकर अपने-अपने कक्ष में चली गयीं। __ उनमें से बड़ी पुत्रवधु, जिसका नाम 'उज्झिका' था, ने सोचा कि 'इन पाँच दानों को कौन संभालकर रखे। अन्न-भंडार में मनों धान भरा हुआ है; जब ससुर जी माँगेगे, तो उसमें से मैं पाँच दाने लेकर लौटा दूंगी।' —यह सोचकर उसने उन दानों को खिड़की से बाहर फेंक दिया और निश्चिंत हो गयी। ____ मँझली पुत्रवधु का नाम 'भोगवती' था। उसने सोचा कि 'ससुर जी ने घर में भरपुर धान के रहते हुए मात्र पाँच चावलों की रक्षा करने की बात क्यों कही? कहीं ये धान चमत्कारी तो नहीं है?' ---यह सोचकर उसने वे पाँचों धान छीलकर खा लिये। तीसरी सँझली पुत्रवधु का नाम 'रक्षिका' था, वह 'यथानाम तथा गुण' थी। उसने विचार किया कि इतने लोगों के सामने बुलाकर धान्यकण देने में जरूर कोई रहस्य है, अत: प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2000 30 71
SR No.521363
Book TitlePrakrit Vidya 2000 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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