SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इक्कीसवीं सदी : कातन्त्र व्याकरण का स्वर्णयुग - प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन श्रुतपंचमी - महापर्व के सुअवसर पर पिछली 6 तथा 7 जून को श्री कुन्दकुन्दं भारती, नई दिल्ली के सौजन्य से 'अखिल भारतीय शौरसेनी प्राकृत संसद' के तत्त्वावधान एवं परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के पावन सान्निध्य में स्थानीय 'गुरु नानक फाऊडेण्शन' के ऑडिटोरियम में राष्ट्रिय भावात्मक एकता तथा अखण्डता के प्रतीक 'कातन्त्र-व्याकरण' पर एक राष्ट्रिय सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विशेषज्ञ - विद्वानों ने निम्नलिखित विषयों पर अपने - अपने शोध - निबन्धों का वाचन किया— 1. डॉ० जानकीप्रसाद द्विवेदी कातंत्र - व्याकरण की विषय- विवेचना-पद्धति (सारनाथ, वाराणसी) 2. डॉ० रामसागर मिश्र ( लखनऊ ) 3. प्रो० जैन (लखनऊ) वृषभप्रसाद 4. प्रो० प्रेमसुमन जैन (उदयपुर) 5. प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन ( आरा ) - 6. डॉ0 सुदीप जैन (दिल्ली) 7. प्रो० गंगाधर पण्डा (वाराणसी) 8. डॉ० प्रकाशचन्द्र जैन ( गाजियाबाद ) - ☐☐ 18 - 9. डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री ( दिल्ली) 10. प्रो० विद्यावती जैन ( आरा, बिहार ) - 11. डॉ० उदयचन्द्र जैन (उदयपुर) 12. डॉ० विजयकुमार जैन ( लखनऊ ) - - कातंत्र - व्याकरण की परम्परा एवं महत्त्व कातंत्र पर कुछ विचार कातंत्र - व्याकरण और कथात्मक तथ्य अद्यावधि अप्रकाशित कातन्त्र-विस्तर : एक अध्ययन कातन्त्र-व्याकरण की मूल - परम्परा एवं वैशिष्ट्य कातन्त्र-व्याकरण की अपूर्वता शर्ववर्म-प्रणीत कातन्त्र - व्याकरण में वर्ण-विचार कातन्त्र - व्याकरण की प्राचीनता कातन्त्र-व्याकरण-सम्बन्धी कुछ दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ राजस्थान के शास्त्र - भण्डारों में उपलब्ध कातन्त्र - व्याकरण कातंत्र - व्याकरण का पालि - व्याकरणों पर प्रभाव प्राकृतविद्या+अप्रैल-जून '2000
SR No.521362
Book TitlePrakrit Vidya 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy