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7. डॉ० उदयचंद जैन–सम्प्रति सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज०) में प्राकृत विभाग में उपाचार्य हैं। प्राकृतभाषा एवं व्याकरण के विश्रुत विद्वान् एवं सिद्धहस्त प्राकृत कवि हैं। इस अंक में प्रकाशित 'सम्राट अशोक की जैनदृष्टि' शीर्षक लेख आपकी लेखनी से प्रसूत हैं।
स्थायी पता—पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज०)
8. डॉ० (श्रीमती) पुष्पलता जैन—आप हिन्दी एवं अपभ्रंश भाषाओं की विदुषी हैं। नागपुर के महाविद्यालय में वरिष्ठ व्याख्याता हैं। इस अंक में प्रकाशित 'अध्यात्मसाधक भैया भगवतीदास एवं उनका ब्रह्मविलास' शीर्षक लेख आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—न्यू एक्सटेंशन एरिया, तुकाराम चाल, सदर, नागपुर-440001 (महा०)
9. डॉ० लालचन्द जैन—आप संप्रति 'प्राकृत शोध संस्थान, वैशाली' में कार्यरत हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'जैन वाङ्मय में द्रोणगिरि' आपके द्वारा रचित है।
स्थायी पता—प्राकृत शोध संस्थान, वैशाली-844128 (बिहार)
10. डॉ० (श्रीमती) माया जैन—आप जैनदर्शन की अच्छी विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित भाषा का स्वरूप एवं विश्लेषण' शीर्षक आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है।
स्थायी पता-पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज०)
11. डॉ० सुदीप जैन श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में 'प्राकृतभाषा विभाग' में उपाचार्य एवं विभागाध्यक्ष हैं। तथा प्राकृतभाषा पाठ्यक्रम के संयोजक भी हैं। अनेकों पुस्तकों के लेखक, सम्पादक । प्रस्तुत पत्रिका के 'मानद सम्पादक' । इस अंक में प्रकाशित ‘सम्पादकीय', के अतिरिक्त प्राकृतविद्या' के वर्ष 10 एवं 11 के अंकों में प्रकाशित लेखों का विवरण', आपके द्वारा लिखित हैं।
स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030
12. जयचन्द्र शर्मा—आप 'श्री संगीत भारती' शोध विभाग, बीकानेर (राज०) में निदेशक पद पर कार्यरत हैं। इस अंक में प्रकाशित ‘णमोकार मंत्र की जापसंख्या एवं पंचतंत्री वीणी' नामक आलेख आपके द्वारा रचित है !
पत्राचार पता—'श्री संगीत भारती' शोध विभाग, रानी बाज़ार, बीकानेर-334001 (राज०)
13. शारदा पाठक—इस अंक में प्रकाशित 'ऋषि और मुनि में अंतर' शीर्षक टिप्पणी आपकी लेखनी से प्रसूत है।
14.श्रीमती रंजना जैन—आप प्राकृतभाषा, जैनदर्शन एवं हिन्दी साहित्य की विदुषी लेखिका हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'जैन-संस्कृति में आहार-शुद्धि' आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी.पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030
15. स्नेहलता जैन—आप अपभ्रंश की शोधछात्रा हैं। इस अंक में प्रकाशित 'महाकवि स्वयंभूकृत पउमचरिउ के विद्याधर काण्ड में विद्याधरों का देश भारत' शीर्षक आलेख आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता-14/35, शिप्रापथ, मानसरोवर, जयपुर-302020 (राज०)
16. धर्मेन्द्र जैन—आप जैनदर्शन एवं प्राकृत के शोध-छात्र हैं एवं सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के जैनविद्या-प्राकृत विभाग' में शोधरत हैं। इस अंक में प्रकाशित 'आचार्य यतिवृषभ के अनुसार अंतरिक्ष-विज्ञान एवं ग्रहों पर जीवों की धारणा' शीर्षक आलेख आपके द्वारा रचित हैं। प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000
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