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________________ शिशु ही नहीं, भ्रूण तक अपने बारे में सोच सकता है । फ्रायडीय विचारधारा के हिमायती तो यहाँ तक कहते हैं कि “बचपन के पहले पड़ाव में ही बच्चा अपने हित अनहित की बात समझने लगता है। कई बार तो उपेक्षा की गांठ उसके बड़े होने तक उसके मन में बंधी रहती है । " मनोवैज्ञानिक मेलानी कलाईन के अनुसार यदि माता बच्चे की देखभाल में कोताही बरतती है, तो तीन मास तक का बच्चा भी उसे साफ-साफ महसूस करने लगता है उसमें आक्रोश पैदा हो जाता है। जो इस सीमा तक जा पहुँचता है, जहाँ उनके मन में माँ को मार डालने के विचार भी आने लगते हैं । हालैंड, अमरीका, ब्रिटेन, चेकोस्लोवाकिया आदि देशों में इस दिशा में महत्त्वपूर्ण अध्ययन हुये हैं । परीक्षण के दौरान गर्भ में अध्ययन कैमरा लगाकर विविध दशायें नजदीक से जांची गयी हैं । यहाँ शुक्राणु और अंड के मिलन के बाद शुरू होने वाली भ्रूणावस्था का भी अध्ययन किया गया । मनोवैज्ञानिक आर०डी० लैंग ने अपने प्रयोग में देखा कि एक महिला जो माँ नहीं बनना चाहती थी, उसके गर्भाश्य में अनुषेचन के बाद बने कोशिका - डिम्ब यानि ब्लास्टोसिएस्ट का न ठहराने की पूरी कोशिश की । इस दशा में होता यह है कि कई बार तो कोशिका - डिम्ब सफल हो जाता है; मगर कई बार इस संघर्ष के दौरान जब कोशिका - डिम्ब को गर्भाशय में स्थान नहीं मिल पाता । वह आगे चलकर जीवनभर इस उपेक्षा को याद रखता है । यह भ्रूण गर्भ में रहकर तरह-तरह की हरकतें कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है । डॉ० लेकोराह ने भ्रूण को कुछ आक्रोशभरी हरकतें करते देखा है, जो बेहद आश्चयर्जजनक थीं । कई हरकतें तो इस बात की कहानी कहती थीं कि 'माँ तो मुझे चाहती नहीं, मेरा जीना बेकार है । ' एक घटना में तो रोगी बच्चे ने सात माह की गर्भावस्था के प्रवास में हुई दुर्घटना तक को याद किया। हुआ यों कि उस बच्चे के सिर में गर्भ में रहते चोट लगी थी । डॉक्टर हैरान थे कि भला ऐसे कैसे संभव हो सकता है। मगर जब उसकी माँ से पूछताछ की गई, तो उसने अपना अब तक का छिपा रहस्य खोल दिया। असल में जब यह बच्चा सात माह का गर्भ था, तो उसकी माँ अपने प्रेमी के साथ छिपकर घूमने गई थी दुर्घटनावश माँ के पैर में चोट आई। हालांकि उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया और डॉक्टरों ने मामूली-सी चोट कहकर वापस भी कर दिया। मगर गर्भस्थ शिशु ने इसे माँ द्वारा उसे मार डालने की साजिश की कल्पना की। चोट की पुष्टि डॉक्टर को तब और पक्की हुई जब बच्चे के चीखने पर उसके सिर का कुछ भाग लाल हो गया। 1 हालाँकि मनोवैज्ञानिक पिअरे वोल्ट ने भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण अनुसंधान किया है। उन्होंने 'गर्भाधान विश्लेषण' नामक ऐसी तकनीक खोली हो, जिसमें वे गर्भ की प्राकृतविद्या + जनवरी-मार्च 2000 00 71
SR No.521361
Book TitlePrakrit Vidya 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size14 MB
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