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________________ अ०भा०दि० जैन विद्वत्परिषद के सौजन्य से समयसार वाचना सफलतापूर्वक सम्पन्न आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज की प्रेरणा से अधिक 'भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद्' के तत्त्वावधान एवं श्री दि० जैन कुन्दकुन्द परमागम ट्रस्ट एवं पं० टोडरमल स्मारक ट्रस्ट जयपुर के सहयोग से इन्दौर में दिनांक 21.5.99 से 24.5.99 तक चार दिवसीय 'समयसार वाचना' विशाल जनसमूह की बीच सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। वाचना में भारत के विभिन्न स्थानों से पधारे चौबीस विद्वान् महानुभावों ने भाग लिया और सैकड़ों अध्यात्म 'रुचिवान् महानुभावों ने समयसार के मर्म को समझा/सराहा। वाचना में आध्यात्मिक जगत के शिरोमणि तत्त्वमर्मज्ञ डॉ० हुकमचन्द भारिल्ल जयपुर, का चारों दिन मार्गदर्शन और सान्निध्य रहा। वाचना का संयोजन विद्वत्परिषद के संयुक्त मंत्री डॉ० राजेन्द्र कुमार बंसल ने किया। वाचना का प्रथम सत्र पं० नाथूलाल जी संहितासूरि इन्दौर की अध्यक्षता में, द्वितीय सत्र वयोवृद्ध पं० श्री नाथूराम जी डोंगरीय की अध्यक्षता में, तृतीय सत्र व्रती विद्वान् ब्रह्मचारी पं० रतनलाल जी शास्त्री इन्दौर की अध्यक्षता में, दिनांक 24.5.99 को वाचना का अंतिम सत्र पं० रतन चन्द जी भारिल्ल जयपुर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। समयसार वाचना में जैनदर्शन के विविध पक्षों से सम्बन्धित विद्वानों एवं श्रोताओं ने रुचिपूर्वक भाग लेकर वाचना के उद्देश्य को सफल बनाया। इसकी सभी महानुभावों ने सराहना करते हुए उसे निरंतरित रखने की प्रेरणा दी। आचार्यश्री विद्यानन्द जी का चातुर्मास ग्रीनपार्क, नई दिल्ली में परमपूज्य प्रात:स्मरणीय सिद्धान्तचक्रवर्ती आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज का 53वाँ पावन वर्षायोग (चातुर्मास) राजधानी नई दिल्ली के ग्रीन पार्क क्षेत्र में स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जी' में अपूर्व धर्मप्रभावना के साथ हो रहा है। पूज्य आचार्यश्री का ग्रीनपार्क में मंगल-प्रवेश दिनांक 25 जुलाई को प्रात:काल हुआ तथा 25 जुलाई को उनका 36वाँ मुनिदीक्षा-दिवस अत्यन्त भक्तिभाव से उल्लासपूर्वक मनाया गया। तथा दिनांक 27 जुलाई को सायंकाल शुभमुहूर्त में अपार जनसमूह की उपस्थिति में विधिविधानपूर्वक आचार्यश्री ने वर्षायोग की स्थापना की। विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि पूज्य आचार्यश्री 'अज्झयणमेव झाणं' को आदर्श के रूप में रखकर प्रतिदिन दो बार मंगलप्रवचन दे रहे हैं। प्रात:काल उनका 8.30 बजे से 9.30 बजे तक रयणसार' ग्रंथ पर मंगलप्रवचन होता है, तो सायंकाल 4.30 बजे से 5.30 बजे तक नियमसार' ग्रंथ पर आध्यात्मिक प्रवचन होता है। दोनों समय अपार जनसमूह मंत्रमुग्ध होकर पूज्य आचार्यश्री के सारगर्भित उपदेशों को सुनता है। विशेषत: आचार्यप्रवर कुन्दकुन्द द्वारा रचित इन दोनों ग्रन्थों के हार्द को एक निग्रंथ अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी वरिष्ठ आचार्य के श्रीमुख से सुनकर निग्रंथ संतों की अपूर्व ज्ञानगरिमा एवं गाम्भीर्य से समाज 1096 प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99
SR No.521355
Book TitlePrakrit Vidya 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1999
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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