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________________ अनुक्रम पृष्ठ सं० लेखक डॉ० सुदीप जैन आचार्य विद्यानन्द मुनि क्र. शीर्षक 1. सम्पादकीय : 'अशोक' जी शोक-रहित थे 2. दिगम्बर जैन श्रावकों एवं विद्वानों को त्यागियों/ श्रमणों की समीक्षा का पूर्ण अधिकार है । 3. णमोकार मंत्र' में 'लोए' एवं 'सव्व' पदों की विशेषता 4. गृहस्थों को भी धर्मोपदेश का अधिकार 5. एक: शरणं शुद्धोपयोग 6. तीर्थंकर की दिव्यध्वनि की भाषा 7. यापनीय : एक विचारणीय बिन्दु 8. सम्राट् खारवेल की अध्यात्मदृष्टि 9. धरसेन की एक कृति : जोणिपाहुड 10. कातन्त्र व्याकरण एवं उसकी दो वृत्तियाँ 11. आचार्य कुन्दकुन्द का आत्मवाद 12. प्रेरक व्यक्तित्व : डॉ० हुकमचंद भारिल्ल 13. भारतीय शिक्षण व्यवस्था एवं जैन विद्वान् 14. गुरु-वन्दना 15. समयसार के पाठ : क्रमांक 16 16. जैनदर्शन के प्रतीक पुरावशेष 17. आचार्यश्री के संकलन से..... 18. जल-गालन की विधि तथा महत्ता 19. प्राकृत तथा अपभ्रंश काव्य और संगीत '20. जैनधर्म और अन्तिम तीर्थंकर महावीर 21. गुणों का भंडार लौंग 22. केला औषधि भी है 23. अभिमत 24. पुस्तक-समीक्षा 25. समाचार-दर्शन 26. इस अंक के लेखक-लेखिकाएँ मुनि कनकोज्ज्वल नंदि पं० माणिकचंद्र कौन्देय डॉ० सुदीप जैन पं० नाथूलाल शास्त्री डॉ० सुदीप जैन श्रीमती रंजना जैन आचार्य नगराज डॉ० रामसागर मिश्र डॉ० महेन्द्र सागर प्रचंडिया श्रीमती ममता जैन श्रीमती अमिता जैन डॉ० कपूरचंद जैन डॉ० सुदीप जैन डॉ० कस्तूरचन्द्र 'सुमन' डॉ० देवेन्द्रकुमार शास्त्री डॉ० रमेशचन्द्र जैन
SR No.521353
Book TitlePrakrit Vidya 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1998
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size3 MB
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