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निग्घिणया सढ-पिअर ओसर निग्घिणय मुञ्च धिट्ठ-पि । का वि जलन्तर-कड्डिअ - कडिल्लयं इअ भणीअ पिअं ॥५२॥ कत्ता का किमहं सुणसु वयंसे निरिक्खसु वयंसा । अम्मो अन्नाइ पिओ रमए कीए वि इअ रुन्नं ॥५३॥ सहि वर-वहु चयसु इमं गामणिमिव खलपुणो वहूइ इह । वारिणि इमाइ रमिरं इअ का वि सहीइ सिक्खविआ ||५४ || जामाउणो रमन्ते उअ वारिणि अपुरवं खु लडहत्तं । को अन्नो लडहो सम्भलीहिँ काहिं पि इअ भणिअं ॥५५॥ रे धुत्त - पिआ सि तुमं जग - पिअरा गोरि - संकरा सविमो । मा सवसु अप्प - पिअरं तं भत्तारो किमम्हा ॥५६॥ भत्तारा जाण वसे धन्ना इत्थीण ताण माआओ । माआए किं जणिआ किं महिआ माअराउ मए ॥५७॥ देवा पिअरा सरणं संहर कत्तार भुअण-कत्ता मं । अन्नाइ छण्ठणे पिअयमम्मि कीए वि इअरुणं ॥ ५८ ॥ दे विन्नवेमि राया रायाणो देसु सव्वओ दिट्ठि | उअ रायाणो के वीह के वि राया इह रमन्ते ॥५९॥ वाणारसीइ रण्णो कुरूण रायाउ अहिअमम्बु-छणो । रण्णो तिउरीए महुराए रायस्स य पट्टो || ६० ॥ हूणाण राइणा इह उअ रायाणो इमे पहु रमन्ते । अङ्गाणं रण्णा राइणो तह सगेण राण || ६१ ॥ परओ जदू रण्णो परओ चेदीण राइणो तह य । राइम्मि अराअम्मि अ एगागारं जले कीला ॥६२॥ इह वारि - मज्जण - छणे राईणमराइणं च समभावो । रायं अराइणं तह कीलन्तं पिच्छ राईहिं ॥ ६३॥
ईहिन्तो राईसु जन्ति राईण मण -हरा विलया । इण्हि रायाणेहिं उअ जल - कीला - पट्टेहिं ॥ ६४॥ रणा अराइणा विहु उच्छालिज्जन्ति नीर - लहरीओ । मगहाण राइणो कोसलाण रण्णो अ सविहम्मि ||६५ ||
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