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________________ गुरुणो कीला-गिरिणो निवडिअ निज्झर-जलाइँ जायाइं । चन्दण-घुसिणल्लाई दहिणो महुणो सिरि-हराई ॥३८॥ लीला-गिरीउ चङ्गिम-गुरूउ निज्झर-जलाइ सहिआई। अखलिअ-गइस्स किर रइ-पहुस्स जय-वेजयन्तीओ ॥३९।। रइ-अहिवइणा पहुणा तइआ पबलेण तरुण-मिहुणाण । दहिणा दहिं व महुणा महुं व मिलिअं मणेण मणं ॥४०॥ कुल्ल-जलाइं अइसीअलाइँ विमलाणि पेच्छ पवहन्ति । इअ भणिरा महिलाओ जल-केलि-छणे पयट्टाउ ॥४१।। हारावलि-मुत्ताउ वि जलाहयाओ जलम्मि निवडन्ता । अगणिअ जले विलुलिआ का वि मयच्छी हसन्तीआ ॥४२।। मउवीओ तणुवीआ पेच्छ जले संचरन्ति लीलाअ । रम्माइ बहु-विहाए ठाणं अच्छर-सरिच्छाओ ॥४३।। पिच्छह जल-लहरीए एन्तीइ उदञ्चिरीअ पडिरीआ । खेलन्ति मज्झ-लुलिआ सभराइअ-तरल-कबरीओ ॥४४॥ अहि-लोअ-वहूए सुर-वहूइ तह जक्ख-किंनर-वहूअ । रूवाहिआउ दइया तडत्थ-तरुणेहि इअ भणिआ ॥४५॥ को वि वहूओ अइखेअराउ खे खेअरीण पच्चक्खं । रममाणीउ अकालीउ लहिअ गण्डूसमुद्धसिओ ॥४६।। रममाणाए कालाइ इमीए कीइ काइ अ इमाए । रे अज अजाइ रमसे त्ति का वि भणिउं हणीअ पिअं ॥४७।। जीओ तीओ मुद्धा जाओ ताओ वि तह विअड्डाओ। तरुणीण जाण ताण वि जल-दन्द-रणे पयट्टाओ ॥४८॥ अच्छीण कज्जल-सिरी जा सा गलिआ न काण उम्मीही । कं पि हु तं नयण-सिरिं ता पत्ता जं जणो सिहइ ॥४९॥ घण-छाहि-कयलि-छाये हलद्दि-गोरी हलद्द-गोरीहि । विलया जलम्मि रमिआ ससाउ दुहिआउवन्नोन्नं ॥५०॥ तर फलिहं कट्ठ अरे न लवसि किं अज्ज मा लवसु अज्जो । पइ नेसि पई मेसु व भणीअ इअ का वि जल-मज्झे ॥५१॥ ६२
SR No.521040
Book TitleNandanvan Kalpataru 2018 06 SrNo 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtitrai
PublisherJain Granth Prakashan Samiti
Publication Year2018
Total Pages92
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Nandanvan Kalpataru, & India
File Size7 MB
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