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प्राकृतद्वयाश्रयमहाकाव्यम्
अह कुच्छेअय- हत्थो कोच्छेअय-कउसलेण सो दिट्ठो कोवेस कउच्छेअय-सिद्धो ति असेस - पउरेहिं ॥ १० ॥ अब्भास-गारवेणं गोविअ - सव्वङ्ग- गउरवो फलए । नावाकारे तेरह - तेतीस - गुणो व्व सो आसि ॥ ११ ॥ घडिआ अथेर-एक्कारएहि बहुएहिं दुव्वहा सत्ती । वेइल्ल-केल-कन्नेरयं व भामिय भुवि निहित्ता ॥ १२ ॥ विअइल्ल - कण्णिआरय- कयलेहिं ऐ-अइ त्ति भणिरेहिं । जोहेहि बोर - पोप्फल - पोरं मन्नेहिं सा महिआ ॥ १३ ॥ नोमालिअ - नोहलिआ - सोमालिहं सलोप- मोहाहिं । तस्सोब्भमिअं लवणं सुकुमाल - मऊह मालिस्स ॥ १४ ॥ चोद्दह - - मणु- चोग्गुणओ भुवण - चउद्दहय - वइ - चउग्गुणओ । चोत्थे वि जुगे ति-पुरिस - चउत्थओ लक्खिओ स तया ॥ १५ ॥ सागोक्खल-खइरोहल- लोहोऊखल - सिला - उलूखलया । चक्केण तेण दलिआ चोव्वारं पुण चउव्वारं ॥ १६ ॥ इअ रइअ-कोउहल्लो कोहल - दक्खेहिँ तक्किओ राया । अहो एस इहं भरहेसर - चक्कवट्टी ओ ॥ १७ ॥ ओआरे अवयार-क्खमेण तेणावसद्द - रहिएण । सेल्ल - कला - अवयासे भग्गो जोहाण ओआसो ॥ १८ ॥ पन्नास - पलोऽवगओ कि जलणो उअ रवि त्ति तस्स करे । उवहसिअ-परसुरामस्सूहसिअ - पवी महा - परसू ॥ १९ ॥ सूल-कलाइ णुमण्णो सीर - णिसण्णो अ कित्ति - पंगुरणो । सो किच्ची - पाउरणं सिइ - पावरणं च अणुकाही ॥ २० ॥ अह राय-वाडिअत्थं नाओ आणाइओ रिउ घरट्टो | पुहइ - सईसेणागरु - सुरहि-मओ सुकुसुम - सुतारो ॥ २१ ॥ सचमर- कण्णो विदुरो गय-पावो देव-दुज्जओ विजणे । सो रिओ पर - वारण- कवलण - नत्तंचर-चरित्तो ॥ २२ ॥
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