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________________ प्राकृतव्याश्रयमहाकाव्यम् दिस-कुप्पिसन्त-जस-भर देवय-हरए तुमं सकुप्पासा । दिक्खाइरिआ सिक्खायरिएहि सहोवसप्पन्ति ॥५०॥ गय-थीण-तिमिर-केसे खल्लीडे नह-सिरम्मि संवुत्ते । थुवआ हवन्ति लोआ एम्हि सुण्हाल-चिन्धस्स ॥५१॥ गयणे तुहिणोसारिणि तुहिणासारं पडन्तमगणन्ता । उट्ठन्ति वहूओ पुरो अज्जूणं विणय-गेज्झाण ॥५२॥ कुट्टिम-चउ-वारेसुं सतिण्हमिहि कुणन्ति रमणीओ । देरागय-पारावय-रावोट्ठिअ-पिअ-परीरम्भं ॥५३॥ पारेवय-मणिएहिं तेत्तिअमेत्तं रमेसु वेसाओ । तेत्तिअमत्तं मग्गन्ति चलिअ-मेत्ते भुअंगम्मि ॥५४|| अद्द-नहंकाण पियाण अल्ल-आलावयाण विलयाओ । उल्लन्ति अंकमंसुअ-ओल्लीहिं ओल्ल-नक्खंका ॥५५।। निअ-ठाण-मीलणं पिक्खिऊण चिन्ता-परा मिउल्लावा । नीलप्पल-पेण्डे पिण्डिऊण भसला रुअन्ति व्व ॥५६॥ किंसुअ-कुसुमायम्बो केंसुअ-दल-सामलं विगय-मेरं । दलिऊण अन्धयारं दंसइ पुहवीइ पहमरुणो ॥५७॥ काउं महाविलं अतम-मूसयं कय-पडंसुए सूरे । लक्ख-हलद्द-बहेडय-रत्त व्व करा विअम्भन्ति ॥५८।। विरइअ-हलद्दि-कन्दाभ-दीवओ नव-हलिद्दि-रत्त-करो । अहलिद्दा-राओ कामुउ व्व पुव्वं भअइ सूरो ॥५९।। पिकंगुअं व निवडइ पिक्किंगुअ-धूसरो ससी एस । सिढिल-करो सढिलंगो तित्तिरमइल-प्फुडकलंको ॥६०।। इअ आसंसन्ति नि-सीह सिंहदत्ताइणो दिआ तुज्झ । वीसं तीसं कप्पे जयसु दुजीहारि-नीसंक ॥६१॥ अदुइअ-रवि-भा-बिइए गयणे जह पाइयम्मि दो-वयणं । कत्थ वि नत्थि तमो अहि-निवास-लोअम्मि व णुमन्नो ॥६२।। जरढोच्छु-रुई चन्दो निस-पिअ-पावासुओ व्व नो सहइ । सच्च-जहुट्ठिल सूरे भू-सग्ग-दुहाइअ-करोहे ॥६३॥ १००
SR No.521037
Book TitleNandanvan Kalpataru 2016 11 SrNo 37
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtitrai
PublisherJain Granth Prakashan Samiti
Publication Year2016
Total Pages122
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Nandanvan Kalpataru, & India
File Size7 MB
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