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________________ (१२) आराधि नहिं. चउदसि घटि तिवारेइ पूनिम परव छे. किणही आचार्ये कठे पण कियो नहि. दो आठमी के दो चउदसी-पजूसणमां दो पांचम करणी( ज्यारे पूनमनो क्षय होय त्यारे चउदसनो क्षय कराय खरो, पण चउदस पर्वतिथि होवाथी तेनो क्षय न थाय, तेथी ज तेरसनो क्षय अमे करीए छीए, अने ज्यारे पूनमनी वृद्धि होय त्यारे बे पूनम करवी, तेमां जे पहेली पूनमनी जे घडिओ विगेरेनो वधारो छे ते चउदशमां नांखवाथी चउदसनी घडिओ वधी जवाथी बे तेरसो करवी ते व्याजबी छे, पण पर्वतिथि तो न घटे के न बे थाय, एक तो तमाम गच्छवाला मानेज छे, एक न मानतो हो तो तमो जाणो) ओर दोइ सातम दो तेरसां और दो चउथीकरणेको ठेर ठेर कीयो है। तेण अम्हे पोसहि लेवां, आठम घटती तुमइ कल्याणक पोसहरा दिन छोडी जे सातममांहे पोसह करे छ। तिणनइ घणां वाकपडे छे आगइ पाछे जुडता नथी तिआं मूलायि किठइ इंठा मनावइ तपा मास तथा तिथि वधइ तिवारइ पाछला लेवइ, खरतर पहिलि लेवइ, कठेइ पाछली पण लेवइ आपणा दाय आवे तिम करइ, तेणइं आगेपाछे न जुडइ, श्री तत्त्वारथ भाषमाहे कह्यो मास तथा तिथि वधइ ते पाछली लीजइ तिण मेली तिम्हीज लेवइ छइ ॥५६॥ નાં. ૧૦ આ જુની પ્રત પં. લાભવિજ્યજી પાસે છે એ. મેરૂવિજયજીની વખતે લખાયેલી તપ અને ખરતરના સંવાદની प्रतम मानीयेनो ५6 छे. खरतर एम कहे छे के चउदस घटे पून्निमा पर्वतिथि छे तेथी पून्निमा पोसह करियो तपा चउद्दस घटे तेरस संपूर्ण घटाडीने चउदस खडी राखणी, पोसह आदि सब क्रिया चउद्दसे करणी॥ओर चउद्दसी वधे तब पहेली चउद्दसकी दुसरी तेरस करणी, उसिदिन तेरसकी क्रीया करणी ओर चउद्दसी खडी रखकर उसिदिन पोसह सब क्रिया करे॥ इसितरे पर्युषणाकी पंचमी वधे तब दो चोथ करके दूसरी चोथे संवत्सरीकी क्रिया करे, वांह पर सुर्योदयवेलाकी जरुरज नही, पहेली चउथी सुर्योदय ते तावती संपूर्ण होय तो पण उसिको सामान्य तिथिरूप गिणनी. क्युंके पंचमी आगे वोही चोथ हे इसि कारणसे शास्त्रमें भी क्रिया है पंचमीकी अगाउ एक दिन होवे तब संवत्सरीप्रतिक्रमणादि करना.
SR No.520955
Book TitleSiddhachakra Varsh 05 - Pakshik From 1936 to 1937
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshoksagarsuri
PublisherSiddhachakra Masik Punarmudran Samiti
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Siddhachakra, & India
File Size24 MB
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