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________________ आचार्य हेमचंद्रसूरि कृत भवभावना ग्रंथ : एक परिचय साध्वीश्री प्रियाशुभांजनाश्री आचार्य हेमचन्द्रसूरि की अनेक रचनाओं में एक कृति भवभावना ग्रंथ है । यह ग्रंथ ५३१ गाथाओं में निबद्ध है । ग्रंथ की भाषा प्राकृत है । गाथाओं का अर्थ सुगम्य बनाने हेतु मलधारी हेमचन्द्रसूरि ने मूल ग्रंथ के साथ-साथ स्वोपज्ञ टीका की भी रचना की है। टीका संस्कृत एवं प्राकृत भाषा में रची गई है। टीका में केवल कठिन शब्दों पर ही प्रकाश नहीं डाला गया, वरन् अनेक दृष्टान्तों की सहायता से सरल व गहन तत्त्वों को हृदयस्पर्शी व मार्मिक भी बनाया है। भवभावना ग्रंथ की टीका लगभग १३००० श्लोक प्रमाण है । इस प्रकार टीका सहित सम्पूर्ण ग्रंथ लगभग १३,५३१ श्लोक प्रमाण है। भवभावना प्रकरण ग्रन्थ दो भागों में विभाजित किया गया है । ग्रन्थ का प्रारम्भ मंगलाचरण से किया है । तत्पश्चात् २३ गाथाओं में परोपकार गुण पर प्रकाश डाला है । परोपकार दो प्रकार का होता हैं - अर्थ और काम के साधनों का दान करना द्रव्य परोपकार है । इस परोपकार को ग्रन्थकारश्री ने महत्त्वपूर्ण नहीं माना है । जिनधर्म का उपदेश या दान देना भाव परोपकार है, जो सर्व सुखों का एवं परंपरा से मोक्ष का प्रदायक है । यही भावपरोपकार करने के उद्देश्य से मलधारी हेमचन्द्रसूरि ने इस ग्रंथ की रचना की है। परोपकार का लक्षण बताकर संक्षेप में भवभावना की महिमा वर्णित की गई है। प्रस्तुत ग्रंथ में भवभावना को एक चलनी की उपमा दी है, जिससे प्राणी कर्मरूपी रज को छानकर विवेक रूपी रत्न को प्राप्त करता है । इस रत्न को प्राप्तकर प्राणी बारम्बार भव-नैर्गुण्य पर विचार करता है, जिससे उसे संवग और निर्वेद गुणों की प्राप्ति होती है । तत्त्वार्थसूत्र में भी कहा गया है कि - 'जगत्कायस्वभावौ च संवेगवैराग्यार्थम् ।' अर्थात् संवेग और वैराग्य की प्राप्ति के लिए जगत् और शरीर के स्वरूप का विचार करना चाहिए। नेमिनाथ आदि तीर्थंकरों को संसार के स्वरूप की भावना भाने से संवेग और निर्वेद गुणों की प्राप्ति हुई, जिसके फलस्वरूप वे प्रव्रज्या के मार्ग पर अग्रसर हुए । एतदर्थ भव का स्वरूप मननीय है । ग्रन्थकारश्री ने विस्तृत रूप से परमात्मा नेमिनाथ के चरित्र को चित्रित किया है। परमात्मा नेमिनाथ
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
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