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________________ संस्कृत तथा फारसी के क्रियापदों में साम्य मोहित कुमार मिश्र संस्कृत तथा फारसी इस प्रकार की भाषाएँ हैं जिनका प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा भाषिक सम्बन्ध रहा है। विद्वानों के द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि संस्कृत तथा फारसी इन दोनों भाषाओं के पूर्वजों का मूलस्थान एक ही था । भाषावैज्ञानिक भी इनकी उत्पत्ति-सम्बन्ध को ध्यान में रखते हुए इन्हें सहोदर भाषा मानते हैं तथा भाषाविज्ञान के अध्ययन में भारोपीय-परिवार की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण 'भारत-ईरानी' नाम की एक पृथक् शाखा के रूप में स्थापित करते हैं । हम यह जानते हैं कि किन्हीं दो भाषाओं की समानता को उसके भाषिक परिप्रेक्ष्य में अत्यधिक औचित्यपूर्ण ढंग से ज्ञात किया जा सकता है । संस्कृत तथा फारसी भारोपीय भाषा-कुल की अत्यंत समृद्ध सह-भाषाएँ हैं तथा दोनों ही भाषाओं के भाषिक (व्याकरणात्मक) पक्ष की अन्यतम विशेषता रही है, जो अन्य भाषापरिवारों में नहीं मिलती है। भाषा में क्रियापद की व्यवस्था के विषय में यह बात लक्षित होती है कि जिस प्रकार प्राणी के शरीर में जीवनतत्त्व (प्राण) निहित होता है, उसी प्रकार किसी भी भाषा के वाक्य में सारभूत तत्त्व "क्रिया' होती है। क्रियापद अर्थात् धातुरूप जिसके मूल में धातु विद्यमान रहकर अर्थ को वहन करता है। संस्कृत तथा फारसी के अनेक क्रियापदों (धातुओं) में मौलिक भाषिक साम्य दिखाई देता है जैसे- चर् > चर् = चरना/भक्षण करना, पच् > पजू = पकाना, कृष्-कर्ष > कश्तन-कार् = खींचना/जोतना। यद्यपि दोनों भाषाओं के कुछ क्रियापदों अथवा धातुओं में कहीं-कहीं परिवर्तन भी मिलता है जिनके कारणों को विशेष रूप में बताने का प्रयास किया गया है। इस निबन्ध में दोनों भाषाओं के आवश्यक बिन्दुओं (धातु-धातुरूप, काल, वृत्ति, क्रियापद-संरचना आदि) की चर्चा करते हुए क्रियापदों के स्वरूप एवं अर्थ का भाषिक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इस अध्ययन द्वारा दोनों भाषाओं तथा उनके प्रयोक्ताओं के प्राचीन सम्बन्ध सुदृढतया ज्ञात होते हैं तथा दोनों भाषाओं में होने वाले भाषा वैज्ञानिक शोधों को दिशा मिलती है। संस्कृत और फारसी के क्रियापदों में साम्य किसी भी देश की संस्कृति एवं इतिहास को जानने में भाषा की अतिव्यापक एवं प्रमुख भूमिका होती है। हम देखते हैं कि अब तक भारत में लगभग जितने भी शासक आए उन्होंने किसी न किसी
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
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