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________________ Vol. XLI, 2018 अन्य दर्शनों के ज्ञान की आवश्यकता 107 इससे अन्य दर्शनों के ज्ञान की महती आवश्यकता सिद्ध होती है । ब्रह्मदेवसूरि ने अपने परमात्मप्रकाश आदि सभी टीकाग्रन्थों में स्थान-स्थान पर अन्यमत-विवक्षा को स्पष्ट किया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि न्याय, दर्शन, सिद्धांत विषयक ग्रन्थों के लिए ही नहीं, अध्यात्मविषयक ग्रन्थों के परिज्ञान हेतु भी अन्य दर्शनों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है । जरा विचार कीजिए कि यदि अन्य दर्शनों का ज्ञान अत्यंत आवश्यक नहीं होता तो जैन आचार्यों ने प्रथमानुयोग के कथा-ग्रन्थों, पुराणों, श्रावकाचारों और पूजापाठ तक के प्राथमिक ग्रन्थों में भी षड्दर्शनों का परिचय क्यों दिया है । यथा - १. महापुराण, सर्ग ३ से ५ में विस्तार से षड्दर्शनों का परिचय दिया गया है। २. यशस्तिलकचम्पू, षष्ठ आश्वास में भी विस्तार से षड्दर्शनों का परिचय दिया गया है । ३. भद्रबाहुकथा में रइधू कवि लिखते हैं कि गोवर्धनाचार्य ने भद्रबाहु को सर्वप्रथम षड्दर्शनों का ___ ज्ञान कराया । (पृष्ठ ७ ) ४. मोक्षमार्गप्रकाशक में पं. टोडरमलजी ने एक पूरा पांचवां अधिकार अन्यमत-समीक्षा का लिखा। ५. हरिभद्रसूरि ने तो स्वतंत्र रूप से ही एक 'षड्दर्शनसमुच्चय' नामक विशाल ग्रन्थ लिखा है । ६. सिद्धचक्र-विधान में भी कविवर पं. सन्तलाल जी ने अनेक स्थानों पर विविध दर्शनों का उल्लेख किया है । देखें पृष्ठ १४४, २४८, २५१ आदि । ७. इन सबसे भी यह भलीभांति सिद्ध होता है कि समीचीन शास्त्रज्ञान के लिए अन्य दर्शनों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है । पुनश्च, यदि आप शास्त्रों के वक्ता, व्याख्याता या अध्यापक हैं, तब तो आपके लिए अन्य दर्शनों का ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक है । आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है। जैसा कि निम्नलिखित प्रमाणों से स्पष्ट होता है(क) 'ससमयपरसमयविदण्हू' - आचार्य कुन्दकुन्द, आचार्यभक्ति अर्थ – आचार्य स्वसमय और परसमय के ज्ञाता होते हैं । (ख) 'तात्कालिकस्वसमयपरसमयपारगो' - धवला १/१/४८ ____ अर्थ – तात्कालिक (अपने समय के) सभी स्वसमय और परसमय का पारगामी होना चाहिए। (ग) 'सर्वेषां दर्शनानां मनसि परिगतज्ञानवेत्ता भवेद्धि । वक्ता शास्त्रस्य धीमान् ................॥' - आचार्य सोमसेन,१/२० अर्थ – शास्त्रों के धीमान् वक्ता को सर्व दर्शनों का विशेष ज्ञाता होना चाहिए ।
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
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