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________________ 86 योगिनी हिमांशु व्यास SAMBODHI तक कोई प्रकाश नहीं डाला गया है। फिर भी भर्तृहरि की 'महाभाष्य-दीपिका', कैयट की 'महाभाष्यप्रदीप', पुरुषोत्तम देव की 'लघुवृत्ति' और नीलकण्ठ की 'भाष्यतत्त्वविवेक' आदि प्रसिद्ध हैं । पतञ्जलि का 'महाभाष्य' व्याकरणशास्त्र का 'विश्वकोश' (encyclopaedia) है इस कथन में अत्युक्ति नहीं है.। अस्तु ॥ फूटनोट १ चत्वारि शृङ्गा त्रयो अस्य पादा द्वे शीर्षे सप्तहस्तासो अस्य । त्रिधा बद्धो वृषभो रोखीति महो देवो मां आ विवेश ॥ ऋग्वेदः-४/५८/३ २. सकतुमिव तितउना पुनन्तो यत्र धीरा मनसा याचमक्रत । अत्रा सरवायः सख्यानि जानते भट्टैषां लक्ष्मीनिहिताधिवाचि ॥ ऋग्वेदः-१०-७१-२ ३. वाग्वै पराच्यव्याकृताऽवदन् । ते देवा इन्द्रमब्रुवन्निमां नो वाचं व्याकुरु इति । सोऽब्रवीद्वरं वृणे मह्यं चैवैष वायवे च सह गृह्याता इति । - तैत्तिरीय संहिता-६-६-४-७ ४. यस्तु प्रयुङ्कते कुशलो विशेषे शब्दान्यथावद्वयहारकाले । सोऽनन्तमाप्नोति जयं परत्र वाग्योगविद् दुष्यति चापशब्दैः ॥ - महाभाष्यम् पस्पशाह्निकम् १/१/१ ५. विभूतिपादः - ३/१७ ७. योगेन चित्तस्य पदेन वाचां मलं शरीरस्य च वैद्यकेन । चोपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां पतञ्जलि प्राञ्जलिरानतोऽस्मि ॥ . Louis Renou : Indian Historical Quarterly XVI, p.586 ज्योर्ज कार्डोना : J.B.O.R.I. - 'डायमन्ड ज्युबिली अङ्क, पृ.८० वैदिक शब्दों के उदाहरणों के लिए पतञ्जलि ने प्रत्येक वेद का प्रथम मन्त्र उद्धत किया है। इनमें सर्वप्रथम अथर्ववेद की पिप्पलाद शाखा का मन्त्र उद्धृत किया है। इससे अनुमान हो सकता है कि सम्भवतः पतञ्जलि पिप्पलाद शाखा के अथर्ववेदी ब्राह्मण रहे होंगे। ११. लोक में असाधु-अपभ्रंश शब्द भी प्रचलित हैं । किन्तु यहाँ उनका अनुशासन अभीष्ट नहीं है। १२. व्याकरण-परम्परा के और 'व्याकरण-महाभाष्य' के सम्पादक प्रोफेसर कीलहोर्न के मतानुसार यह वाक्य भाष्यकार का है। किन्तु डॉ.एस.डी.जोशी इस वाक्य के 'प्रयोजनम्' ऐसे एकवचनान्त प्रयोग से कहते हैं कि यह वाक्य 'वात्तिक' है। - पतञ्जलि व्याकरण महाभाष्य by S.D.Joshi, Publication of CASS, University of Poona. १३. महाभाष्य - २/१/३ १४. (१) माणवकं मुण्ड्यति ।, सूर्यं उद्गमयति, पञ्चभिः हलैः कर्षति । (आह्निक - ३०)
SR No.520787
Book TitleSambodhi 2014 Vol 37
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages230
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size25 MB
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