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Vol. XXXVI, 2013 स्वातन्त्र्योत्तर भारत में पाण्डुलिपियों का संग्रह एवं सूचीकरण 201
श्री जे. सी. राइट ने किया था । यह सूची का द्वितीय खण्ड था जिसमें ६५०८ पाण्डुलिपियों का विवरण है । इसका प्रथम खण्ड १९७९ में १५०० पाण्डुलिपियों के विवरण के साथ प्रकाशित हुआ जिसका सम्पादन डॉ. गुप्ता के साथ एम. सी. गुप्ता जी ने किया । १९८१ में दस हजार पाण्डुलिपियों के सूची के साथ इसके तृतीय खण्ड का प्रकाशन हुआ जिसका संकलन श्री बी. बी. गोस्वामी ने किया । १९८२ में जो सूची प्रकाशित हुई उसमें १२०१ पाण्डुलिपियों का विवरण है जो कम से कम ४५ विषयों की पाण्डुलिपियों के बारे में सूचना देती है। उसमें ब्रजभाषा की अनेक पाण्डुलिपियाँ हैं । पुन: १९८५ एवं १९९१ में १३३३० एवं १६८३० पाण्डुलिपियों के सूची के साथ चतुर्थ एवं पञ्चम खण्ड की सूची का प्रकाशन हुआ । इन सूचियों में आर्चिक सामवेद, मीमांसाकौस्तुभ एवं राघवपाण्डवीयम् जैसे अनेक हस्तलेख हैं । १९९० में यहाँ हिन्दी भाषा पाण्डुलिपियों की सूची तथा १९९६ में का Descriptive Catalogue of Panjabi Manuscripts का सम्पादन श्री अमृतलाल टक्कर के द्वारा हुआ। इसमें आदि ग्रन्थ, दशम ग्रन्थ, साखी, भक्तिकाव्य एवं वैद्यक आदि की चालीस पाण्डुलिपियों का विवरण है। हिन्दी की सूची में १३५० पाण्डुलिपियों का विवरण है। इस संग्रह में प्रचास हजार से अधिक पाण्डुलिपियाँ हैं जिनके प्रकाशन एवं अनुसन्धान की योजना
को वहाँ के वर्तमान निदेशक डॉ. हरिमोहन मालवीय जी स्वरूप दे रहें हैं । १९८१ . : दिगम्बर जैन सरस्वती भण्डार नया मन्दिर, धर्मपुरा, दिल्ली की पाण्डुलिपियों की सूची
Catalogue of Sankrit, Prakrit and Apabhramsa Manuscripts शीर्षक से ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला संख्या-९ में भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से प्रकाशित
हुई जिसका सम्पादन श्री कुन्दन लाल जैन ने किया । : दिल्ली के बी. आर. पब्लिशिंग कार्पोरेशन ने Manuscripts Illustration of the
... Medieval Deccan नामक पुस्तक का प्रकाशन किया जिसे रानाडे ने लिखा है। १९८४ : ओडिशा राज्य संग्रहालय की चुनी हुई चित्रित पाण्डुलिपियों का एक संकलन
Illustrated Palm Leaf Manuscripts of Orissa शीर्षक से प्रकाशित हुआ जिसका संकलन एवं सम्पादन श्री सुभाष पाणि जी ने किया है। इसका प्रकाशन भी Orissa State Museum के द्वारा किया गया है । इस कैट्लाग की भूमिका अत्यन्त उपयोगी है एवं सूचनाओं से पूर्ण है। सूची को २६ वर्ग में बाटकर वेद, तन्त्र आदि की दृष्टि से प्रमुख पाण्डुलिपियों का विवरण दिया गया है। अमरुकशतक, गीतगोविन्द, विदग्धमाधव, उषा, विलास, महाप्रभुजन, चित्रकाव्यबन्ध, चौसठरतिबन्धन आदि १२८
पाण्डुलिपियों के विवरण के साथ चित्रों को भी स्थान दिया गया है । १९८५ : कालीकट विश्वविद्यालय संस्कृत ग्रन्थमाला संख्या-एक के अन्तर्गत वहाँ संगृहीत
१९८३
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