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Vol. XXXVI, 2013
स्वातन्त्र्योत्तर भारत में पाण्डुलिपियों का संग्रह एवं सूचीकरण
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का संशोधित संस्करण १९४९ में प्रो. वी. राघवन् के निर्देशन एवं सम्पादन में प्रकाशित हुआ जिसमें प्रो. राघवन् ने लगभग सौ पृष्ठों की सामग्री इस भाग के साथ जोड़ी जिसके अन्तर्गत उपलब्ध सूचियों का विवरण भी है। इस क्रम में प्रो. राघवन् ने १९६६ में भाग-२, १९६७ में भाग-३, १९६८ में भाग-४ का सम्पादन किया जो मद्रास विश्वविद्यालय के अन्तर्गत प्रकाशित हुये । १९६९ में भाग-५, १९७१ में भाग-६, १९७३ में भाग-७, का प्रकाशन हुआ जिसे डॉ. के. कुञ्जनी राजा ने सम्पादित किया था। इसके अनन्तर १९७४ में भाग-८, १९७७ में भाग-९ एवं १९७८ में भाग-१० तथा १९८३ में 'प' अक्षर तक भाग-११ का प्रकाशन हुआ जिसके सम्पादन में डॉ. राजा के साथ सहसम्पादक के रूप में डॉ. सी. एस. सन्दरम ने भी सहायता की। इसके पश्चात् १९८८ में भाग-१२ के प्रधान सम्पादक के रूप में प्रो. एन् वीझीनाथन् ने इस योजना को आगे बढ़ाया प्रो. वीझीनाथन् के साथ डॉ. सी. एस् सुन्दरन् तथा डॉ. एन् गंगाधरन् सह-सम्पादक के रूप में इस कार्य से जुड़े रहे । इनके प्रयास से भाग-१५ तक का प्रकाशन सम्भव हुआ । न्यु कटालोगुस् कटालोगोरुम् परियोजना बीच में शिथिल रही लेकिन सम्प्रति मद्रास विश्वविद्यालय में संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. सिनिरुद्ध दाश जी ने इसमें गति प्रदान की। संस्कृति-विभाग, भारत सरकार का यह निर्णय विशेष प्रशंसनीय है कि राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के अन्तर्गत इसके प्रकाशन का निर्णय लिया गया जिसके फलस्वरूप प्रो. दाश ने भाग-१५ के संशोधित संस्करण के साथ-२ भाग-१६ से भाग-२० तक का सम्पादन ही नहीं किया वरन् २००७ में मद्रास विश्वविद्यालय के अन्तर्गत प्रकाशन भी सम्भव किया। शेष भाग भी सम्पादन एवं प्रकाशन की सरणि में हैं। इस योजना का कार्यान्वयन संस्कृति मंत्रालय के लिये किसी विशिष्ट योगदान से कम नहीं है। प्रो. सिनिरुद्ध दाश इसके लिये बधाई के पात्र हैं । : प्रो. बी. आर्. शर्मा जो उस समय केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति के निदेशक थे,
उन्होंने कामेश्वरसिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के पुस्तकालय की ३३२० पाण्डुलिपियों की सूची तैयार की जो Descriptive Catalogue of Raj Manuscripts के नाम से प्रकाशित हुई । वस्तुतः इन पाण्डुलिपियों का संग्रह पूर्व में महाराजा दरभंगा के संग्रह में था । इस सूची का शीर्षक था - दरभंगाराजहस्तलिखितग्रन्थानाम् कामेश्वरसिंह-संस्कृत-विश्वविद्यालय-ग्रन्थालयस्थानाम् सूचीपत्रम् । इस सूची में अन्य विषय की पाण्डुलिपियों के साथ क्रीडा, उद्यानवृक्षरोपणादि, विषयों पर प्राकृत, हिन्दी, मैथिली एवं मराठी भाषा की पाण्डुलिपियाँ हैं । सूची के प्रारम्भ में जहाँ एक ओर प्रो. बी. आर्. शर्मा जी ने एक विस्तृत भूमिका दी है वहीं पर वहाँ के तत्कालीन कुलपति श्री एव. वी. सोहानी का हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में पुरोवाक् सूची की उपयोगिता को सिद्ध करता है ।
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