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विजयशंकर शुक्ल
SAMBODHI
१९७०-१९८४ : श्री रणबीर संस्कृत शोध संस्थान, जम्मू में लगभग छः हजार पाण्डुलिपियों का संग्रह है जिसकी सूची के प्रथम भाग का संकलन डॉ. एम्. एम् पाटकर ने शोध संस्थान के सहयोगियों की सहायता से तैयार किया । इस भाग में ११७९ पाण्डुलिपियों की विवरणात्मक सूची हैं जिसमें वैदिक साहित्य के साथ-साथ कोष, छन्द एवं संगीत की भी पाण्डुलिपियाँ हैं । इसी का द्वितीय भाग १९७३ में १६२७ पाण्डुलिपियों की सूची
साथ प्रकाशित हुआ जिसमें संगीत, कामशास्त्र, धर्मशास्त्र एवं दर्शन की पाण्डुलिपियों का संकलन है । २५६७ पाण्डुलिपियों के विवरण के साथ यहाँ की सूची का तृतीय भाग १९८४ में प्रकाशित हुआ जिसमें विशेष रूप से ज्योतिष-शास्त्र, रामायण, महाभारत, पुराण, भक्ति एवं तन्त्र की पाण्डुलिपियाँ हैं।
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१९७१ - १९८४ : श्री गोपाल नारायण बहुरा ने ही जयपुर के पोथीखाना की एक सूची Literary Heritage
of the Rulers of Amber and Jaipur के नाम से प्रकाशित की। इन्हीं के द्वारा पोथीखाना संग्रह (अ) की ५०० पाण्डुलिपियों की सूची का प्रकाशन Catalogue of Manuscripts in the Maharaja Sawai Man Singh IF Museum शीर्षक से १९८४ में तथा १९८७ में ४८३ पाण्डुलिपियों के सूची के साथ प्रकाशित किया गया जिसमें श्री आर्. जी. शर्मा ने संकलन एवं सम्पादन में श्री बहुरा की सहायता की ।
१९७२
१९७२
जयपुर के महाराजाओं के संग्रह की सूची का प्रकाशन Catalogue of Manuscripts in the Maharaja of Jaipur Musuem शीर्षक से श्री जी. एन. बहुरा ने संकलित एवं सम्पादित किया जिसे जयपुर महाराजा संग्रहालय, सिटी पैलेस, जयपुर के सचिव ने प्रकाशित किया ।
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: Institute of History of Medicine, Hyderabad A check list of Sanskrit Medical Manuscripts शीर्षक से १०८२ पाण्डुलिपियों का विवरण १९७२ में प्रकाशित हुआ जिसका सम्पादन वहीं के अनुसन्धान अधिकारी डॉ. बी. रामाराव किया । ये पाण्डुलिपियाँ आयुर्वेद की हैं। इस सूची के साथ प्रो. वी. राघवन् का पुरोवाक् भी है।
: ब्रिटिश म्यूजियम की त्रैमासिक पत्रिका British Museum Quarterly xxxvi (१९७२) में जिन पाण्डुलिपियों एवं पुस्तकों को जून ७० एवं १९७३ के बीच संगृहीत किया गया था उनकी सूची का प्रकाशन Deptt. of Oriental Manuscripts and Printed Books शीर्षक से प्रकाशित हुआ जिसमें पृष्ठ ५९-६० पर इनकी सूची है। इसी तरह British Library Journal १.१.१९७५ के पृष्ठ ९९-१०५ पर इनकी एक सूची है जिसका प्रकाशन १९७४ में हुआ । पुनः १९७९, ८० एवं ८३ में भी इस तरह की सूची प्रकाशित करने का क्रम चलता रहा ।
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