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विजयशंकर शुक्ल
के कुछ अंश जो ब्राह्मीलिपि में हैं, ५ वीं शताब्दी की पाण्डुलिपि भैषज्यगुरुवैदूर्यप्रभासूत्र जो भूर्जपत्र एवं गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि में हैं तथा बौद्ध धर्म से सम्बन्धित है; १२ वीं शताब्दी का श्रीभोजदेवसंग्रह (नेवारी लिपि); युद्धजयार्णवतन्त्र जो १०वीं शताब्दी
भट्टोत्पल के द्वारा रचित है एवं दैवज्ञ सर्वबल ने १३वीं शताब्दी में इसकी प्रतिलिपि की है; १५ वीं शताब्दी में रचित संगीत का प्रसिद्ध ग्रन्थ संगीतशिरोमणि भी उस प्रदर्शनी में दिखाये गये । ये सभी पाण्डुलिपियाँ अलग-अलग संग्रहों से एकत्रित की गई थी। संस्कृति मन्त्रालय के इस प्रयास की प्रशंसा करनी चाहिए ।
१९६६-१९७६ : कर्नल एच. एस. ओल्कट १८८६ में थियोसोफिकल सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष बने - जिसके साथ-साथ पुस्तकों एवं पाण्डुलिपियों के विशिष्ट संस्था के रूप में उन्होंने अड्यार एवं रिसर्च सेण्टर की आधारशिला रखी । उपलब्ध पुस्तकों एवं पाण्डुलिपियों के सूचीकरण का कार्य उन्होंने १८११ से ही प्रारम्भ कर दिया था । १९११ में इस संग्रह की ११,८४२ पाण्डुलिपियों की सूची प्रकाशित हो चुकी थी । इस बीच १९०८ में तत्कालीन निदेशक डो. एफ् ए. श्राडर ने विवरणात्मक सूची प्रकाशित करने की योजना तैयार की जिसका प्रतिफल १९४२ में ११०३ पाण्डुलिपियों की सूची के साथ सामने आया । इसी क्रम में तीन और भाग प्रकाशित हुये लेकिन इसके अन्तर्गत बारहवें भाग का प्रकाशन १९६६ में हुआ जो विशिष्टाद्वैत, द्वैत, शिवाद्वैत एवं अनुभवाद्वैत पाण्डुलिपियों
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सूची से सम्बन्धित है तथा चतुर्थ भाग का प्रकाशन १९६८ में हुआ जिसका सम्पादन पण्डित के. परमेश्वर आइथल ने किया था । स्तोत्र की पाण्डुलिपियों से सम्बन्धित इसके दो खण्डों में ३२४४ पाण्डुलिपियों का विवरण दिया गया है। इसी के भाग - ५ में काव्य, नाटक एवं अलंकार की पाण्डुलिपियाँ, भाग-६ में छन्द कोष एवं व्याकरण, भाग-७ में कामशास्त्र एवं आयुर्वेद की पाण्डुलिपियों का विवरण दिया गया है ।
१९७२ में भाग-८ एवं ९ का प्रकाशन हुआ। इन दोनों भागों का सम्पादन प्रो. आइथल पण्डित टी. एच्. विश्वनाथन एवं पण्डित अ. अ. रामनाथन् ने किया । १९७६ में इसके १३वें भाग का सम्पादन एवं संकलन डो. ई. आर्. श्रीकृष्णशर्मा जी ने किया जो विश्वभारती संग्रह की पाण्डुलिपियों से सम्बन्धित है । इसके प्रथम खण्ड में वेद, वेदाङ्ग एवं उपनिषद् की पाण्डुलिपियाँ हैं एवं द्वितीय खण्ड में इतिहास, काव्य आदि की । अड्यार की सूची का वैशिष्ट्य यह है कि यह सूची एक-एक विषय एवं विषयवस्तु को ध्यान में रखकर विभाजित की गई है। जैसे - वेद के अन्तर्गत प्रथमतः ऋग्वेद से सम्बन्धित संहिता, भाष्य, ब्राह्मण इत्यादि की पाण्डुलिपियों को क्रमानुसार रखकर सूचना दी गई है।
१९६६-२००८ : जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि न्यु कटालोगुस् कटालोगोरुम् योजना का प्रारम्भ १९३५ में हुआ था जिसके अनन्तर इसका प्रथम भाग प्रकाशित हुआ । पुन: प्रथम भाग
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