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________________ Vol. XXXVI, 2013 ७. ज्ञान- ज्ञेय मीमांसा का सार : सारा जगत ज्ञान का ज्ञेय होने पर भी ज्ञान में उसका प्रवेश न होने से असीम भांति का अनुभव होता है। १. २. ३. ४. ज्ञानज्ञेय मीमांसा जैनदर्शन का वैशिष्ट्य जीव ज्ञान स्वभावी है ज्ञान का स्वभाव स्व पर प्रकाशक होता है । स्वभाव परनिरपेक्ष, असहाय होने से ज्ञान को अपने जानने रूप व्यवसाय करने में पर की ज्ञेय की किचित माज्ञ अपेक्षा नहीं होती। इससे ज्ञान की चरम स्वतंत्रता का बोध होता है। जीव से भिन्न पर वस्तुओं में प्रमेयत्व गुण होने के कारण ज्ञान के ज्ञेय बनने की सामर्थ्य से युक्त होते हैं । इससे ज्ञेय की स्वाधीनता को बोध होता है । ज्ञान जड़ को जानने से जड़ रूप नहीं होता तथा अपने अनंत गुणों को जानने से अनंतगुण रूप नहीं होता। ज्ञान तो सदाकाल ज्ञानरूप रहता है, ऐसा जानने से निर्भयता का भाव जागृत होता है । ८. उपसंहार : उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि ज्ञानमयी वस्तु तथा ज्ञेयरूप वस्तु दोनों अपनेअपने में अपनी स्वरूप सम्पदा से परिपूर्ण होने के कारण परस्पर एक दूसरे के आधीन नहीं है । वे एक दूसरे से किसी प्रकार परतंत्र नहीं है। इस प्रकार ज्ञान व ज्ञेयमयी समस्त वस्तुओं को उनकी स्वशक्तियाँ उन्हें पर से निरपेक्ष व स्वभाव से सहज सम्पन्न रखती हैं इस कारण पर के हस्तक्षेप को कोई विकल्प पैदा होने की गुंजाईश नहीं रहती। इस प्रकार यह ज्ञान ज्ञेय मीमांसा वस्तु की अस्तित्त्वात्मक, क्रियात्मक - एवं ज्ञानात्मक स्वतंत्रता का उद्घोषणा करता हुआ अकृत विषयव्यवस्था में अपनी सम्मति देता हुआ 'शोभायमान होता है। 177 सन्दर्भ सूची १. प्रमेयत्व जिस भाक्ति के कारण द्रव्य किसी न किसी ज्ञान का विषय हो उसे प्रमेयत्व गुण कहते हैं। (a) लघु जैन सिद्धान्त प्रवेशिका प्र नं. २६, पृ. ६. (b) द्रव्य स्वभाव प्रकाशक चक्र गाथा १२ का विषेशार्थ पृ. ७. २. समयसार कलश आचार्य अमृतचन्द्र, कलश ६२. ३. चैतन्य बिहार जुगल किशोरजी 'युगल' पृ.४३, अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन कोटा (राज.) प्रथम 'संस्करण' २००२ - Jain Education International ४. समयसार गाथा ११६ १२० की आत्मख्याति टीका पृ. १९६. ५. परीक्षामुख सूत्र आ. माणिक्यनंदी, अध्याय २, सूत्र ७१ ६. वही, अध्याय- २, सूत्र - ८ — For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.520786
Book TitleSambodhi 2013 Vol 36
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages328
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size7 MB
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