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Vol. XXXVI, 2013 शाकुन्तल की प्राकृतविवृति एवं प्राकृतच्छायायें
169 १६. कालिदास जिस स्थल-काल में हुए हो उस स्थल-काल की प्राकृतभाषा का विनियोग शाकुन्तल की
प्राकृत-उक्तिओं में करना चाहिये-ऐसा दृष्टिकोण इस लिए सर्वसम्मत नहीं होगा कि कालिदास का जन्म
समय एवं जन्म-स्थल दोनों ही अद्यावधि विवादास्पद रहे है। संदर्भ सूचि
१.
Descriptive Catalogue of Sanskrit Manuscripts in the library, (Vol-5). (1951), Chenni: Adyar Library.
२. R. Nambiyar (1999). An Alphabetical list of MSS in the Oriental Institute,
(Vol.2). Vadodara : M. S. University of Baroda. ३. V. Raghavan (1954), New Catalogus Catalogrum (Vol. 1 to 13).
Chennai:University of Madras. ४. भरतमुनि (१९८०), नाट्यशास्त्रम् । संपादक - बलदेव उपाध्याय, वाराणसी : चौखम्बा ओरिएन्टालिया. ५. राघवभट्ट (२००६), अभिज्ञानशाकुन्तलम्, दिल्ली : राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान. ६. हेमचन्द्र (१९९४). प्राकृत-व्याकरणम्, अमदावाद : भद्रंकर प्रकाशन.
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