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________________ 72 विजयपाल शास्त्री SAMBODHI टीकायुक्त संस्करण का सम्पादन अर्जुनरावणीय (रावणार्जुनीय) महाकाव्य के मूलपाठ के समीक्षात्मक सम्पादन के अतिरिक्त इस महाकाव्य की टीका का पृथक्शः सम्पादन किया है । सम्पूर्ण काव्य पर सम्पादित यह टीकाग्रन्थ खण्डशः पृथक्-पृथक् उपलब्ध तीन टीकायुक्त हस्तलेखों की सामग्री का संयोजित रूप है । यह संयोजन इस प्रकार है पहला खण्ड प्रथम सर्ग से चतुर्दश सर्ग के ४३वें श्लोक तक है, जो केरल विश्वविद्यालय तिरुवनन्तपुरम् के कार्यावट्टम्-परिसर स्थित प्राच्यविद्या-शोधसंस्थान से प्राप्त-ति ४. तथा ति ५. हस्तलेखों के आधार पर सम्पादित है । दूसरा खण्ड चतुर्दश सर्ग के ४४वें श्लोक से अष्टादश सर्ग तक उक्त संस्थान से प्राप्त हस्तलेख- ति ६. के आधार पर सम्पादित है । इस प्रकार पृथक्-पृथक् हस्तलेखों में खण्डशः उपलब्ध टीका का संयोजन कर सम्पादन किया है । स्पष्टता के लिए इस संयोजन को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है टीकाग्रन्थ के तीन खण्ड प्रथम खण्ड शिवदेशिकशिष्य-टीका- प्रथम सर्ग में चतुर्दश सर्ग के ४३वें श्लोक तक द्वितीय खण्डअज्ञातकर्तृका टीका चतुर्दश सर्ग के ४४वें श्लोक से अष्टादश सर्ग पर्यन्त । तृतीय खण्डवासुदेवीय-टीका १९ से २७ सर्ग पर्यन्त । केरल में रची गई तथा वहीं उक्त तीन खण्डों में उपलब्ध हुई इस सम्मिलित टीका को सुविधा की दृष्टि से हमने 'कैरली टीका' इस एक नाम से व्यवहृत किया है । इन तीनों टीकाखण्डों में से प्रथम खण्ड की टीका को शिवदेशिकशिष्य-टीका नाम से व्यवहृत किया गया है । क्योंकि रचयिता ने टीका के आरम्भ में तीन श्लोकों द्वारा क्रमशः गणेश, सरस्वती व कृष्ण का स्मरण करने के अनन्तर निम्न श्लोक में अपने गुरु को प्रणाम करते हुए उनका नाम इस प्रकार दिया है सेव्यादिभूतं शिवदेशिकानुपूक्त्तगुह्यं स्वगुरुं प्रणम्य । काव्ये मयाप्यर्जुनरावणीये श्राव्या बुधैर्व्याक्रियतेऽत्र टीका ॥ (अर्जुनरावणीय-टीकारम्भे चतुर्थश्लोक:) इससे विदित होता है कि टीकाकार के गुरु सेव्यशिवदेशिक नाम के कोई आचार्य थे । टीकाकारने इसके अतिरिक्त अपना कोई परिचय नहीं दिया । सम्भवतः टीका के अन्त में पुष्पिका में टीकाकार के नाम धाम आदि का निर्देश रहा हो, परन्तु चतुर्दश सर्ग के ४३ वें श्लोक पर ग्रन्थपात हो जाने से वह उपलब्ध नहीं हो सका । अतः टीकारम्भ में उपलब्ध उक्त गुरुविषयक निर्देश के आधार पर हमने टीकाकार को संक्षेप में शिवदेशिकशिष्य नाम से व इनकी टीका को शिवदेशिकशिष्य
SR No.520782
Book TitleSambodhi 2009 Vol 32
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, K M patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages190
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size19 MB
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