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________________ Vol. XXVIII, 2005 कुमारसम्भव की 'सञ्जीविनी' टीका का स्वारस्य पादटिप्पणी :१. कुमारसम्भवम्, (सञ्जीवन्या टीकया समेतम्), सं.. वासुदेव ल. पणशीकर, निर्णयसागरप्रेस, मुंबई, १९१२, (पृ. ५). २. कुमारसम्भवम्, (श्री आनन्ददेवायनिवल्लभदेवविरचितया पञ्जिकया समेतम्), सं. डॉ. गौतम पटेल, अहमदाबाद १९८६, पृ. ११०. कुमारसम्भवमहाकाव्यम्, (मल्लिनाथ, चारित्रवर्धन एवं सीताराम कृत टीकात्रयतिलकितम्), प्रका.. नाग प्रकाशक, दिल्ली reprint १९८९ (पृ. ८२). ४. कुमारसम्भवम्, सं० गौतम पटेल, (पृ० ९९) ५. कुमारसम्भवम्, (नागप्रकाशक), (पृ० ७४) ६. कुमारसम्भवम्, सं० गौतम पटेल, (पृ० १३५) ७. कुमारसम्भवम्, नागप्रकाशक (पृ० १०२) ८. तदेव (पृ० १०२) ९. कुमारसम्भवम्, सं० गौतम पटेल, (पृ० १३९) १०. कुमारसम्भवम्, नागप्रकाशक, (पृ० १०६) ११. कुमारसम्भवम्, सं० गौतम पटेल, (पृ० १४३) १२. अमरकोषः (कालवर्ग ४-१६) के अनुसार वल्लभदेव ने अर्थ 'आषाढ़मास' दिया है। (पृ. ४९) - अमरकोषः, सं. वासदेव पणशीकर चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, दिल्ली (द्वितीयावृत्ति) १९८७ १३. अमरकोषः (स्वर्गवर्ग-१-५६) की 'रामाश्रमी' टीका में अग्नि के ३४ पर्यायवाची नामों में एक 'शुचि' भी है, और वहाँ टीका में शुचि का एक अर्थ 'ग्रीष्म' दिया है । (पृ. २४) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520778
Book TitleSambodhi 2005 Vol 28
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah, K M Patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages188
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size4 MB
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