SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कमलकुमार जैन SAMBODHI (१) कर्मप्रकृति : . 'कर्मप्रकृति' अध्ययन की प्रथम गाथा में कहा गया है कि, जिन कर्मों से बद्ध होकर जीव संसार में भ्रमण करता है, उन आठ कर्मों का वर्णन मैं क्रमशः करूँगा । उसके बाद ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अंतराय-ये नाम गिनाये हैं। (१) ज्ञानावरणीय १. श्रुत, २. आभिनिबोधि के आवरक कर्म, ३. अवधि, ४. मनः पर्यव, ५. केवलक (२) दर्शनावरणीय : १. निद्रा, २. प्रचला, ३. निद्रानिद्रा, ४. प्रचलाप्रचला, ५. स्त्यानगृद्धि, ६. चक्षु, ७. अचक्षु, ८. अवधि, ९. केवलदर्शन के आवरक कर्म । (३) वेदनीय कर्म : साता-असाता ये दो प्रकार हो करके उनके अनेक प्रकार हैं । (४) दर्शन व चारित्र ये दो मोहनीय कर्म के भेद हैं । (५) आयुकर्म : आयुकर्म के गत्यानुसार चार भेद हैं । (६) नामकर्म : शुभ व अशुभ-मुख्य हैं व अनेक भेद-प्रभेद हैं । (७) गोत्रकर्म : उच्च व नीच ये दो मुख्य प्रकार हैं और प्रत्येक के आठ-आठ भेद हैं । (८) दान-लाभ-भोग-उपभोग व वीर्य ये अंतराय कर्म के पाँच भेद हैं । कर्म की आठ मूल प्रकृतियाँ और उत्तरप्रकतियाँ अनेक हैं । इसके बाद आठ कर्मों के प्रदेशाग्र (द्रव्य), क्षेत्र, काल, भाव ये चार निक्षेप बताये हैं। तत्त्वार्थसूत्र में प्रतिपादित उत्तरप्रकृतियों की दृष्टि से देखें तो उत्तराध्ययन में कषाय मोहनीय कर्म क १६ भेद हैं । ऐसा उल्लेख मात्र है, नामों का उल्लेख नहीं है। उत्तराध्ययन में नामकर्म के शुभ और अशुभ दो ही भेदों का उल्लेख है जबकि तत्त्वार्थसूत्र में अनेक भेदोपभेदों का विवेचन किया गया है । ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय, और अंतराय ये चार कर्म अनन्तज्ञान, अनन्तदर्शन, वीर्य तथा सौख्यरूप आत्मगुणों का घात करते हैं और इनमें से मोहनीय कर्म सर्वाधिक शक्तिशाली है। उत्तराध्ययन में घाति और अघातिकर्मों का स्पष्ट भेद तो नहीं बताया है, परंतु कहा है कि-काय समाधारणा से जीव
SR No.520777
Book TitleSambodhi 2004 Vol 27
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, N M Kansara
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages212
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy