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________________ 104 कानजीभाई पटेल SAMBODHI तक संघ में छोटे और पुख्त वयवालों के बीच प्रव्रज्या-उपसंपदा देने में कोई भेद न था । अतः छोटे लडकों को प्रव्रज्या - उपसंपदा मिलने पर वे नियत जीवन नहीं बीता सकते थे । अतः बुद्धने नियम बताया कि २० साल से कम वय वालों को उपसंपदा न दी जाय और १५ साल से कम आयु वालों को प्रव्रज्या न दी जाय । प्रव्रज्या और उपसंपदा के बीच के समय में वह उपाध्याय के पास रहकर शिक्षा लेता था। वह श्रामणेर या श्रामणेरी कहलाते । श्रामणेर के लिए हिंसा, चोरी, झूठ, विकालभोजन आदि से बचने के लिए दस शिक्षापदों का विधान हुआ । शुरूमें एक उपाध्याय एख ही श्रामणेर बना सकता था लेकिन बाद में समर्थ भिक्षुओं के लिए शिक्षा दे सके उतने श्रामणेर बनाने की अनुमति दी। श्रामणेर को अपराध के लिए उपाध्याय आवरण का दंड देता था लेकिन उपासकों की टीका-टिप्पणी से यह दंड निकाल दिया गया । भारी उपराधों के लिए तो वह संघ से निकाल दिया जाता था । फिर जैसे जैसे सुझाव आते रहे वैसे वैसे प्रव्रज्या के अधिकारी के विषय में नियम बनाए गए ।। उपसंपदा मिलने पर वह संघ का अंग बन जाता था और संघ के सभी कार्यो में अपना मत दे सकता था। वह छोटी छोटी बातों में संघ के नियमों के अनुसार अपनी प्रवृत्ति कर सकता और अपराध करने पर संघ उसे दंड देता । उपसंपदा मिलने पर संघ के सभ्य की हैसियतसे काम कर सकता था। लेकिन श्रामणेर को शिक्षा नहीं दे सकता था । कितना उच्च आदर्श ? जो अभी अभी शिक्षा प्राप्त कर चुका है वह दूसरों को शिक्षा देने का अधिकारी कैसे हो सकेगा? शिक्षा पर तो संघ का सारा आधार है । आज भी अगर शिक्षा देनेवाले अध्यापकों की नियुक्ति इस तरह की जाय तो ? उपाध्याय को सद्धिविहारीक में तथा आचार्य को अपने शिष्य में पुत्रबुद्धि रखनी चाहिए और शिष्यसद्धिविहारीक को आचार्य उपाध्याय में पितृप्रेम । उपसंपदा के लिए अयोग्य व्यक्ति : (१) पंडक को उपसंपदा नहीं देनी चाहिए । (२) चोरी से लाए वस्त्र पहने पुरुष को उपसंपदा नहीं देनी चाहिए । यदि उपसंपदा पा गया हो तो उसे निकाल देना चाहिए । (३) तिर्यंच योनिवाले को, (४) माता के हत्यारे को, (५) पिता के हत्यारे को, (६) अर्हत् घातक को, (७) उपाध्याय के बिना, (८) चोर, पंडक, मातृघातक, पितृघातक आदि को उपाध्याय बनाकर उपसंपदा नहीं देनी चाहिए, (९) पात्र और जीवर रहित को, (१०) मँगनी से लाए पात्र तीवर वाले को, (११) पैर, नाक, कान आदि कटे हुए अंग वाले को, (१२) बुड्ढा, दुर्बल, अंधा, गूंगा, बहिरा आदिको भी उपसंपदा दी नहीं जाती थी। उपसंपदा के लिए योग्य व्यक्ति : (१) कोढ, गंड आदि पाँचों प्रकार से मुक्त (२) मनुष्य (३) स्वतंत्र (४) अदास (५)उऋण (६) राजसैनिक न हो (७) माता पिता से भिक्षु बनने की अनुमति प्राप्त की हो (८) गर्भकाल से पूरे वीस वर्ष का हो (९) पात्र-चीवर प्राप्त हो (१०) अपना नाम बता सके (११) उपाध्याय का नाम बता सके।
SR No.520777
Book TitleSambodhi 2004 Vol 27
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, N M Kansara
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages212
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size25 MB
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