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सुनीता कुमारी
SAMBODHI
पुरुष के मध्य सम्बन्ध कराने में परम पुरुष (ब्रह्मा) का हाथ माना गया है। ब्रह्मा प्रकृति व पुरुष में समाविष्य हो जाते है जिससे प्रकृति में हलचल मच जाती है और महत् तत्त्व का निर्माण होता है। प्रत्येक वस्तु के अपने-अपने गुण होते हैं । ये गुण साम्यावस्था में रहते हैं । जब कोई बाह्य वस्तु उसमें आकर प्रवेश करती है तो वह वस्तु बराबर यह प्रयत्न करती है कि बाह्य वस्तु बाहर निःसृत हो । इस प्रयास में एक अन्य प्रकार का नवीनीकरण हो जाता है । पुन: उस नवीन वस्तु के साथ विभिन्न प्रकार की प्रक्रिया चलने लगती है जो अन्ततः नए जीव के जन्म का कारण बन जाता है ।
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