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________________ 165 Vol. XxV, 2002 श्री'मान' कविविरचित जिनसंगीताष्टक ।। धूअ धूअ मठ मठ धूअ धू धू मठ मठ धूअ धूअ मठ धू धूमिकि ध्रसकि धरं तननन रीरी तन रीरी रीरी तन तन रीरी तननन तन रीरी रति सुरं । नननरि मम सरिगसु ससरिमु गरिरिसु सस गग ममग सु सुगम श्रुतं धपमपधुनि मपधुनि निधुपकि मपधुनि तथंगि तथुगि धुंगि नृतत नृतं ॥५॥ किटि किटि किटि टिटि किटि किटि टिटि टिरि किटि निकुटि कुटिरि किटि टिकु निकुटं ति तु मातां तिम्लां तितुमि तुतिम्लां छछिमां छिम्लां छछिमि छटं । भहररभर भहरर भहरर भहरर भहररदुन्दुभि सुरसुभृतं धपमपधुनि मपधुनि निधुपकि मपधुनि तथुगि तथुगि धुंगि नृतत नृतं ॥६॥ कवित्त धपमप धों धों कार द्रांकि द्रों द्रोंकि द्रमं द्रम तथुगि तथुगि धुंगि तथुगि झेंकि झें झें कि रिमंझिम । दो दो द्रागड दी कि द्रणण गृणण गृणणेकि गृणंणण धी धी धी कि धी धी किटि धिकिटि ध्रिकिटि धी धी ध्रसकि धरंगन ॥ चां चां कि च चपट चपट चटु षुषु मिषु धुंदांषुषुडदिषुषु संगीतनृत्य वाजित्रयुत नृतत सुरीसुर जिनसमुख ॥७॥ डें डें डिमु डिमु डहकि वहकि । । कि त्रिमंत्रिम घृत तत थेई थेई घुघुमि घृणण घृणणाट घमंघम । ठेकि ठेकि ठें ठनन ठनकि ठेकार ठनंठन धूअ धूअ मठ धुअ धुनकि रनकि रन नाट रणंणण ॥ भहररकि भरर दुन्दुभि सुसुर तन रीरी तनरीरीर रतिरुषु संगीत नृत्य वाजित्र युत नृतत सुरीसुर जिनसमुख ॥८॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520775
Book TitleSambodhi 2002 Vol 25
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah, N M Kansara
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages234
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size5 MB
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