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________________ 10 तनूजा सिंह SAMBODHI ऊपरी भाग में दायीं और पलंग पर लेटी महिला तथा एक महिला को उस पर पंखा झलते हुए लोकजीवन की भी अभिव्यक्ति की है। चित्र में रेखाकार्य व सपाट रंगों का प्रयोग तत्कालीन चित्रकार की दक्षता का द्योतक है जिसमें लाल, हरा व नीला रंग के साथ ही सफेद रंग का प्रयोग बड़ी कुशलता के साथ संयोजित देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त द्वितीय चित्र में तीन मुख्य विषयवस्तु स्पष्ट होते हैं। प्रथम चित्र में सबसे ऊपर किसी व्यक्ति विशेष को घोड़े पर सवार व घोड़े के आगे एक महिला को हाथ में हुक्का लिये व घोड़े पर सवार व्यक्ति को हुक्का पीते चित्रित किया है। द्वितीय चित्र के मध्य हंसारूढ देवी व उनके पीछे एक सेविका व हंस के आगे दो पण्डितों को चित्रित किया है। हंस की चंचु में मोती की माला व पण्डित के हाथों में पात्र दिखाया है। तृतीय चित्र फलक के सबसे नीचे श्रवणकुमार का चित्रण है। श्रवणकुमार के माता-पिता के चित्रण में पिता का मसनद लगाये चित्रण है। उक्त सभी चित्रणकार्य से स्पष्ट होता है कि वैर के भित्तिचित्रों में तत्कालीन लोक कला का भी प्रभाव था। भरतपुर किले के भित्तिचित्रों में रामायण से संबंधित दृश्य दर्शाकर भरतपुर के अजेयदुर्ग (सन् १७३३ ई०) के प्रवेशद्वार में भी तत्कालीन लोकजीवन की अभिव्यक्ति की है। चित्रों में रेखाओं को विशेष महत्त्व दिया है तथा रंग गेरूये व स्थानीय लोककला अनुरूप है। इन चित्रों में अनुपात से अधिक कथानक को महत्त्व दिया है जैसे हनुमान राम और लक्ष्मण के सम्मुख दण्डवत् चरण छू रहे हैं तो दूसरी और नरसिंहावतार को एक कोने में अंकित किया है तथा दूसरी ओर कृष्ण को उनमें कोई अनुपातिक संयोजन न होते हुए भी छत के अलंकरण की किनारों पर क्रमबद्ध धार्मिक दृश्यांकन किया है इससे यह स्पष्ट होता है कि भरतपुर के जाट शासक रामायण से तथा हनुमान के भक्त थे जो उनके ध्वज में भी प्रतीकरूप में विद्यमान रहे हैं। भरतपुर किले के जवाहर बुर्ज की छत एवं दिवारों में आड़ी खड़ी रेखाओं से चित्रण किया है। इनमें विभिन्न चौखटों की कलाकृतियों को इस प्रकार वर्गीकृत पिया जा सकता है। राजसभापट, लक्ष्मण की स्वयंवर पट, राजकन्या पट, नरकासुर युद्ध, कोटरा, कृष्ण वसुदेव, वाणयुद्ध, काशीवाद, राजकन्या प्रार्थना एवं चौपड़ खेलने का दृश्य आदि विषयवस्तु लघुचित्र पद्धति में चित्रित किये गये हैं। इसमे यह भी स्पष्ट होता है कि भरतपुर के तत्कालीन चित्रकार शास्त्रीय एवं पौराणिक विषयवस्तु को चित्रण के लिये विभिन्न राजप्रासादों में आश्रयदाताओं के भावानुरूप चित्रित करने की योग्यता रखते थे। ऐसे चित्रण कार्य भरतपुर क्षेत्र के अन्य भवनों व राजप्रसादों एवं दुर्ग से सम्बन्धित दरवाजों में, सार्वजनिक स्थलों पर निर्मित होते रहे तथा भरतपुर दुर्ग में निर्मित हमाम के चित्रण विषयों में सिर्फ फूल पत्तियों के अलंकरण का माध्यम चुना है। हमाम को अलग-अलग भागों में विभाजित करके मध्य भाग में फव्वारे लगाये गये हैं तथा चित्रकार ने सभी भागों में अलग-अलग चित्रण जैसे कि किनारे लाल, हरे रंग की पट्टिका देकर तथा बीच में गहरे रंग की पृष्ठभूमि में हल्के रंग के फूलपत्तियों का चित्रणकर अन्य भाग में द्वार के मध्य सम्पूर्ण फूल पत्तियों की बेल को दिखाया गया है। भरतपुर का डीग महल जिस प्रकार से अपनी वास्तुकला के लिये विख्यात है, उसी प्रकार इस महल का नन्द भवन जिसमें कि चारों कोनों पर बड़े-बड़े चित्रित स्तम्भ अपनी विशेषतायुक्त हैं। यहां के भित्तिचित्रों में व्यक्तिचित्रण अधिक हैं तथा चित्र के ऊपर उसका शीर्षक भी दिया गया है अधिकतर चित्रों के विषय
SR No.520769
Book TitleSambodhi 1994 Vol 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah, N M Kansara
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1994
Total Pages182
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size6 MB
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