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एच यु. प्रडया
(4) नंच = नन्दिर्णि मुनि पुण्यविजयजी, प्राकृत पथ परिषद् , वाराणसी, इ स. 1966
पृ. 42 की पादटीप, विशेषावश्यक भाष्य गाथा 533 (इन्डोलोजी प्रकाशन, अहमदाबाद (5) शा. वि. पृ 33-47 (6) ऋ = ऋग्वेद संहिता भाग १-4, सायण भाष्य समेता, प्रकाशन वैदिक संशोधन
मण्डल पूना-6, द्वितीय आवृत्तिः शके 1894 | ऋ. 1-146-5; (क) 1-1919; 5, 6; (ख) 7-1-1; (ग) 7-63-1; (घ) 2-27-3 (ड) 7 34 10; (च) 1-23-3; 1-79-12; 10-90-1; 10-161-3; (छ) 1-100 12;
(ज) 1-35-9; 1-79-12; 1-64-12, 1-78-1; 2-41-10; 5 63-3 (7) विष्णुसहस्रनाम, मकरन्द दवे, महर्षि वेद विज्ञान अकादमी, अहमदाबाद
लोक 10, 14, 22, 24, 67, (8) रामायण 2-106-6, विष्णु सहस्त्र श्लोक 48 (क) सू. क सूत्रकृतांग स. पुष्फभिक्खु गुडगौव छावनी, इ.स. 195.3 । सूक 1-9:24
(460% (98) आचारांग स. पुप्फमिकूखु 1-5-4-5 (309); (94) सू कृ.
1-6-5 (356); (94) सू कृ, 1-9-24 (460) (10) (क) ऋ. 3-31-4; 6; 5-45-2; ख) 5-51-15; (ग) 3-29-10; (घ)3.
57-3; (ड) 5-61-7; (च) 1-51-8; (छ) 1-94-8; (ज) 6-9-3, झ, 1105-16; (I) 2-27-3; (ट) 4-1-17, 7-60-2; (8) 7-83-1; (ड) 1-88-5; (ढ) 3-62-9, (ण) 6-51-2; (त) 7-94-6; (थ) 1-25-11;
(द) 3-62-9; (ध) 6-47-7; (न) 9-96-7; (प) 9-10-9; (फ) 1-25-18 (11) क पञ्चज्ञानानि (पञ्चेन्द्रिय ज्ञानानि) कठ- कठोपनिषद्-उपनिपद्भाप्य खण्ड-1, 2,
प्रकाशन गीताप्रेस गोरखपुर, स . 1992 कठ, 2-3-10, उच्चज्ञान कट, 2-3-8, (ख) लौकिक ज्ञान परक अथ में मु. मुण्डकोपनिषद् 2-2-1, विशेषज्ञान परक अर्थ में मु. 1 132-12; उच्चज्ञान (विज्ञान ब्रह्म) तैत्तिरीय 2-5-1, (ग) कठ 1-2-24 ऐतरेय 3-1-3 (4) मुण्डक 1-1-9, 2-2-7, प्रश्नोपनिषद् 4-10, 4.11 (ड) दृश्यते त्वग्रथा बुद्धया सूक्ष्मया सूक्ष्मदर्शि भिः कठ 1-3-12 (ये सभी उपनिषद्
उपयुक्त उपनिषद भास्य खण्ड १-२ में हैं । ) (12) 3-1-2 ऐतरेय (13) मुडक 2-2-5 से 8 (14) आप्टे की डिकशनरी (15) नेच् पृ. 42 की पादटीप (16) विशेषायश्यक भाष्य गाथा 550