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दोहा-पाहुड उप्पज्जइ जेण विबोहु ण वि बहिरण्णउ तेण णाणेण । तइलोयपायडेण नि असुंदरो जत्थ परिणामो ॥८२ तासु लीह दिढ दिज्जइ जिम पढिज्जइ तिम किज्जइ ।। अह व ण गम्मगम्मइ तासु भज्जेसहिं कम्मई ॥८३ वक्खाणडा करंतु बुहु अप्पि ण दिण्णु णु चित्त । कणहि जि रहिउ पयालु जिम पर संगहिउ बहुत्त ॥८४ पंडियपंडिय पंडिया कणु छंडेविणु तुस कंडिया । अत्थे गंथे तुट्ठो सि परमत्थु ण जाणहि मूढो सि ॥८५ अक्खरडेहिं जि गव्विया कारणु ते ण मुणंति । वंसविहत्था डोम जिम पर हत्थडा धुणंति ॥८६ णाणतिडिक्की सिक्खि वढ किं पढियई बहुएण ।। जा सुधुक्की णिड्डहइ पुण्णु वि पाउ खणेण ॥८७ सयलु वि को वि तडप्फडइ सिद्धत्तणहु तणेण । सिद्धत्तणु परि पावियइ चित्तहं णिम्मलएण ॥८८ केवल मलपरिवज्जियउ जहिं सो ठाइ अणाइ । तस उरि सवु जगु संचरइ परइ ण कोइ वि जाः ॥८९ अप्पा अप्पि परिडियउ कहिं मि ण लग्गइ लेउ । सव्वु जि दोसु महंतु तसु जं पुणु होइ अच्छे उ ॥९० जोइय जोएं लइयइण तइ धंधइ ण पडीसि । देहकुडिल्ली परिखिवइ तुहं तेमइ अच्छेसि ॥९१ अरि मणकरह म रइ करहि इंदियविसयसुहेण । सुक्खु णिरंतरु जेहिं ण वि मुच्चहि ते वि खणेण ॥९२ तूसि म रूसि म कोहु करि को हैं णासइ धम्मु । धम्मि णढि णरयगइ अह गउ माणुसजम्मु ॥९३ हत्थ अहुटठहं देवली वालहं णा हि पवेसु । संतु णिरंजणु तहिं वसइ णिम्मलु होइ गवेसु ॥२.४ अप्पापरहं ण मेलयउ मणु मोडिवि सहस त्ति ।। सो वढ जोइय किं करइ जासु ण एही सत्ति ॥९५