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________________ दोहा - पाहुड हउं गोरउं हउं सामलउ हउं मि विभिण्णउ वणि । हउं तणुअंगउ थूल हउं एहउ जीव म मणि ॥२६ वि तुहुं पंडिउ मुक्खु ण वि ण वि ईसरु ण वि णीसु । ण वि गुरु कोइ विसीसु ण वि सव्वई कम्मविसेसु ॥२७ विनुं कारणु कज्जु ण वि ण वि सामिउ ण वि भिच्चु । सूरउ कायरु जीव ण वि ण वि उत्तमु ण विणिच्चु ॥ २८ पुणु वि पाउ वि कालु णहु धम्मु अहम्भु ण काउ | एक्कु वि जीव ण होहि तुहुं मिल्लिवि चेयणभाउ ॥२९ णवि गोरउ ण वि सामलउ ण वि तुहुं एक्कु विवष्णु । ण वि तणुअंगउ थूल ण वि एहउ जाणि सवण्णु ॥ ३० हउं वरु बंभणु ण वि वइसु णउ खत्तिउ ण वि सेसु । पुरिसु णउंसर इत्थि ण वि एहउ जाणि विसेसु ॥ ३१ तरुणउ बूढउ बालु हजं सूरउ पंडिउ दिव्वु । खवणउ वंदउ सेवडउ एहउ चिति म सव्वु ॥ ३२ देहो पक्खिवि जरमरणु मा भउ जीव करेहि जो अजरामरु बंभु परु सो अप्पाण मुणेहि ॥ ३३ देहहि उभउ जरमरणु देहहि वण्ण विचित्त । देहहो रोया जाणि तुहुं देहहि लिंगई मित्त ॥ ३४ अस्थि ण उब्भउजरमरणु रोय वि लिंगई वण्ण । णिच्छइ अप्पा जाणि तुहुं जीवहो णेक वि सण्ण ॥ ३५ कमहं केरउ भावडउ जइ अप्पाण भणेहि । तो वि ण पावहि परमपउ पुणु संसारु भमेहि ॥ ३६ अप्पा मिल्लिवि णाणमउ अवरु परायउ भाउ । सो छंडेविणु जीव तुहुं झावहि सुद्धसुहाउ ॥३७ वण्णविहूणउ गाणमउ जो भावइ सम्भाउ । संतुणिरंजणु सो जि. सिउ तहिं किज्जइ अणुराउ ॥ ३८ तिहुयणि दीसइ देउ जिणु जिणवरि तिहुवणु एउ । जिणवरि दीसइ सयल जगु को वि ण किज्जइ भेउ ॥ ३९
SR No.520766
Book TitleSambodhi 1989 Vol 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1989
Total Pages309
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size10 MB
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