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________________ २ रामसिंह- मुणि-विरइय घरवासउ मा जाणि जिय दुक्कियवासउ एहु | पासु कयंते मंडियउ अविचल ण वि संदेहु ॥ १२ मूढा सलु विकारिमउ मं फुडु तुहुं तुस कंडि । सिaus णिम्मल करहि रह घरु परियणु लहु छंडि ॥ १३ मोहु विज्जिइ मणु मरइ तुट्टइ सासु णिसासु । केवलणाणु वि परिणवह अंबरि जाह णिवासु ॥ १४ पिं मुक्की कंचुलिय जं विसु तं ण मुएइ । भोयहं भाउ ण परिहरइ लिंगग्गहणु करेइ ॥ १५ जो मुणि छंडिवि विसयसुह पुणु अहिलासु करेइ | लुंचणु सोसणु सो सहइ पुणु संसारु भमेइ ॥ १६ विसयसुहा दुइ दिव्हडा पुणु दुक्खहं परिवाडि । भुल्लउ जीव म वाहि तुहुं अप्पासंधि कुहाड ॥१७ उव्वलि चोप्पड चिट्ठ करि देहि सुमिहाहार | सयल विदेह णिरत्थ गय जिह दुज्जण उवयार ॥ १८ अथिरेण थिरा मइलेण णिम्मला णिग्गुणेण गुणसारा । कारण जा विढप्पइ सा किरिया किण्ण कायव्वा ॥ १९ वरु विसु विसहरु वरु जलणु वरु सेविउ वणवासु । णउ जिणधम्म परम्मुहउ मिच्छत्तिय सहु वासु ॥ २० उम्मूलिवि ते मूलगुण उत्तरगुणहिं विलग्ग | वण्णर जेम पलंबचुय बहुय पडेविणु भग्ग ॥२१ अप्पा बुज्झिउ णिच्चु जइ केवलणाणसहाउ । ता पर किज्जइ काई वढ तणु उप्परि अणुराउ ॥२१ सो णत्थि इह परसो चउरासीलक्खजोणिमज्झमि । जिणवयणं अलहंतो जत्थ ण दुरढुडिओ जीवो ॥२३ जसु मणि गाणु ण विष्फुरइ कम्महं हे करंतु । सो मुणि पावइ सुक्खु ण वि सयलइ सत्य मुणंतु ॥ २४ बोहिविवज्जिउ जीव तुहुं विवरिउ तच्चु मुणेहि । कम्मविणिम्मिय भावडा ते अप्पाण भणेहि ॥ २५ 1
SR No.520766
Book TitleSambodhi 1989 Vol 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1989
Total Pages309
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size10 MB
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