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रूपेन्द्रकुमार पगारिया
साथ वागयुद्ध में उतरता था । इस धार्मिक युद्ध से वितंडाबाद से आचार्य महेन्द्रसिंह सरि बखे व्यथित थे । वे रहते हैं- हमारे संप्रदायों में से कई आचार एवं विचारों का वैचिश्य दृष्टिगोचर होता है। और सभी अपने अपने विचारों को सस्य बताते हैं तो किन विचारों को माना जाय । मेरी दृष्टि से जो विचार शास्त्रीय हो उसे ही मानना चाहिए । इसी से ही समाज में शांति स्थापित हो सकती है।
मा. महेन्द्रसिंह सूरि ने उस समय की 50 विभिन्न प्रचलित मान्यताएँ अपने ग्रन्थ में
1. कोई साधु चैत्य में निवास करता है तो दूसरा साधु चैत्य निवास को मुनि कल्प के विरूद्ध मानकर श्रावकों के लिए बनाई गई वसति में ही निवास करता है।
2. एक नमोक्कार मंत्र में 'हवइ मंगलं' बोलता है तो दूसरा 'होइ मंगलं'
3 कई चत्पबन्दन में 'नमः श्री बर्द्धमानाय, नमः तीर्थेभ्यः, नमः प्रवचनाय, नमः सिद्धेभ्यः ऐसे चार पद बोलते हैं, कोई एक ही पद बोलता है तो कोई एक भी पद . नहीं बोलता।
4. कई नमस्कार मंत्र का उपधान मानते है। तो कई उपधान को शास्त्रविरूद्ध कहकर उसका निषेध करते हैं।
5. एक अपने हाथों से मालारोपण करते हैं । कोई दूसरों के हाथों से 'मालारोपण करवाते हैं। तीसरा पक्ष मालारोपण को ही शास्त्र के प्रतिकूल मानकर उसका निषेध करता है।
6. एक पक्ष प्रतिक्रमण में 'आयरिय उवज्झाए' आदि गाथाएं बोलता है। दूसरा पक्ष नहीं बोलता।
1. एक पक्ष साध्वी का प्रथमलोच गुरुद्वारा हो. होना चाहिए ऐसा मानता है तो दूसरा पक्ष साध्वी का लोच साध्वी को ही करना चाहिए ऐसा मानता है।
8. एक पक्ष जिन स्नान पञ्चामृत से मानता है दूसरा पक्ष गन्धोदक से।
9. एक पक्ष श्रावक का शिखाबन्ध मानता है तो दूसरा पक्ष कलशाभिमंत्र करना मानता है। तीसरा पक्ष दोनों बातों को नहीं मानता।
10. एक पक्ष जिन प्रतिमा को रथ में रखकर छत्र चंवर के साथ गाँव में घुमाता है, दिमाली की पूजा करता है । बलि फेकता है । तो दूसरा पक्ष इन सब बातों का निषेध करता है।
11. एक पक्ष प्रत्येक प्रत्याख्यान में 'वोसिरामि' ऐसा बोलता है। दूसरा पक्ष प्रत्याख्यान के अन्त में 'वोसिरामि' ऐसा शब्द बोलता है।
12.. एक पक्ष प्रत्याख्यान में “विगईओ पच्चक्खामि" ऐसा पाठ घोलता है तो दूसरा पक्ष गिईओ सेसियाओ पच्चरखामि ऐसा पाठ चोलता हैं । ___ 13. एक पक्ष एक परिकर में एक ही जिन बिम्ब बनाना मानता है तो दूसरा पक्षएक ही परिकर में 24 तीर्थकर त्रिबिम्ब पंचतीर्थी सत्तरिसयबर (170 तीर्थकर) बनाने का विधान करता है।