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________________ जयसिंह सिद्धराज का विरूपाक्ष मन्दिर (चिलगाँव) का अभिलेख १५ कम्मद्भिता ० लोकोतर भूमिपाल कृप्ताः गुंजास्त्रनः विभूयस्कोप पावकः समलंकृताः पूर्ण मण्डलता कम्मभिदुता लोकोत्तर शैलेंद्र भूमिपाल ०क्लप्ताः गुजास्त्रजः वभूवुर्यकोप ० पावक समलंकृत : पूर्णमंडलता १८ . १८ कलंकित सकलपेषु मनोरथेषु चित्र भूमिष्ठेषु मृगो दृशा सविद्यहे समुत्खाता कलंकित: संकल्पेषु मनोरथेषु • चित्र भूयिष्ठेषु मृगीदृशां संविद्महे समुत्खाता: १८ गमितः शत्त गमिताः ० शत० रुचे हाराव रूचे हाराय तुल गायंती मोर मतालीन दे। द्वैजयंती विव ते ० यकीर्ति . यिंती मोदमत्तालिनादः ० द्वैजयंती ० विधते कीर्ति भुजा दीक्षा ०संपदा सूताहयश्च सिद्धा भूर्ण दीक्षा सपंदा सूताहयाच
SR No.520763
Book TitleSambodhi 1984 Vol 13 and 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, Ramesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1984
Total Pages318
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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