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________________ अरविंद कुपार सिंह १०.. द्वि पिचके ० स्यजज्ञे ० यस्थलेन द्विधापिच के स्वजज्ञे ० यच्छलेन मूर्ति फीतियोभूः खण्डितांडल रक्त लायाधिपः कुंकुम व्यूहास्त्रपूरे सभा ० शोर्यद्रमः सूभूस्तस्य भूपं तिलक श्री कर्णदेवा हो यस्मास्फालित मतः कुंजर सिंदुरपूग रूण: कीत योसू (भूः) खंडितांगुलिगल लादाधिप कुकुम व्यहानपूरैस्तथा शौर्यमः सूनुस्तस्य भूपलि(ति)लक: श्रीकर्णदेवायो यस्यास्फालित मत्तकुजर सिंदूरपूराण: पाणि पाणिः पृष्ठमरं पृष्ठनरं द्विशमता भूजा ०द्विनमतां भुजा तेषां सततं नानाध्वरः ° वाकपत्तिना सोकां गंतुमना वत्राभ्यार्थि हयं नंदनः सतत नानावर ० नाकपतिना सोत्कंठ गंतुमनाः तत्राभ्यर्षि १४ ०वयं देव कृप्तावतारः दातास्मे कर्तासाव नंदनं देवः क्लप्तावतार: दातास्मै कर्तासाव० रुचि
SR No.520763
Book TitleSambodhi 1984 Vol 13 and 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, Ramesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1984
Total Pages318
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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