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________________ जयसिंह सिद्धराज का विरूपाक्ष मन्दिर (बिलगाँव) को अभिलेख १३ ० नाम्नो पादाक्रांत नामनो पादाक्रान्त द्विजः मुक्तफल: भुवन द्विज ० मुक्तफल: भ[-]वनं महिपीठं मद्रिपीट कीर्ति चतुकशोम कोति सुती चतुष्कशोभ सुतो मंडलस्य संततम राजलक्ष्मी मण्डलस्य सततम् राज्यलक्ष्मी दुरं मुगोच वृतशाली रजोभूत गुणेवंदी वृता सर्वे रण मुमोच वृत्तशाली राजोभूत् गुणवंदीकृताः संतो रणः प्रत्यर्थि दोष्णादाय ० लल्यता प्रत्यर्थि दोष्णादा तुलयतां दष्ट्रा महादंष्ट्रिमः ओणी दुर्लभराज থামিল स्थावबंधुर्दथे प्रत्यार्थि पतन कीर्ति कीर्तयुत क्षमापन धुणोत्कीर्णेव वर्णावली कलिविभूय महदंष्ट्रिणः क्षोणों दुर्लभराज इत्यभिथयात ० स्याथवंधुरंधै प्रत्यर्थि ०पत्तन कीति कीर्तयितुं अमाधन ० धुमोत्कीर्ण घणविलिः ० कलिविधूय
SR No.520763
Book TitleSambodhi 1984 Vol 13 and 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, Ramesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1984
Total Pages318
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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