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भरवि कुमार सिंह
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१०. पनुअल रिपोर्ट आन इण्डियन पपिग्राफी फार १९६९-७० (षी २०८) ग़ै जिनभद्राचार्य को लेखक बताया गया है ।
१८. उपर कथित, पृ. ९-१० ।
१९. यह और आगे की, पद्म के चरण के बीच में आयी एक या दो लकीरें अनावश्यक हैं । सम्भवता प्रशस्ति के दाहिने छोर को समान रखने के लिए इन्हें खोदा गया है ।
२०. शममृत पढ़ें ।
२१. जैन नागरी का अक्षर छ ।
२२. अलंकरण चिह्न |
स्मारिका
अजति
सहस्त्राक्षः
नमति
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फर्णीन्द्र :
स्मरपर से
लक्षणीर्योक्षि
उनि
शिपु
कर्मव
स्फुटायामा
भूराममूर्त
पद
कान्ता
पोष्माकीण
प्रभावाद्
कुरूतः
विरागं
रक्षितार
दिव
• चन्द्रमौलि वेगात्मेय
वाचन-भेद
अभिलेख
भजति
सहस्राक्षः
मुवति
द्विस्तदक्षा
wole:
स्मरपरवर्स
लक्षणपशि
सर्वपक्षः
Fle
कर्मलाई
फुटावाम
दृशमममृत
कांता पौष्माचीव
प्रभावाद
कुरुत
विरामं
रक्षितारं
प्रवृत्तौ सपदिव०
● चंद्रमौलि
• गाव
सर्ज
पथस ख्या
१
१
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