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________________ अर्बुदाचल का जैन अलिभिखित साहित्य (६) ६.१ अध्ययन से विशेष ज्ञान प्राप्ति १. साधु और आचार्य के संतान के रूप में कई श्रावकों का निर्देश किया गया है । (देखिये लेखांक १०, ४३ भाग २) । इससे एक विशिष्ट प्रथा का ज्ञान हमें होता है, जिस के बारे में संशोधन अपेक्षित है । २. गृहस्थों का परिचय देते वक्त उनके कुल और वंश का निदेश कई जगह पर अलग नाम से किया गया है । उदा. एक गृहस्थ के कुल का निदेश श्रीमाल से है और उसी गृहस्थ के वंश का उल्लेख प्राग्वाट से किया गया है । (लेखांक ५१, भाग २) इस के बारे में भी संशोधन अपेक्षित है। ३. कई स्त्रियों के नाम पुरुष के नाम से दिये गये हैं। देखिये- धांधल-बांधल दे (लेखांक ५८, भाग २), धरण-धरणदे, रत्ना रनादे, भीमा-भीमादे, तेजपालतेजपालदे, तेजल-तेजलदे (लेखांक ३९, भाग ५)। इस से हम कह सकते है कि विवाह के बाद स्त्रियों के नाम पति के नाम से दिये जाते थे। ४. नाणा के सदर्भ में भी थाहा सा ज्ञान मिलता है । दुगानी, जयल, फय (लेखांक २४४-२४५, भाग २) द्रम्म (लेखांक ३४, भाग ५, लेखांक २४०-२४२, भाग २) महमूही (लेखांक ४९५, भाग २) । [महमूही चांदी का सिक्का था । कई सूत्रधार-सुतार-मिस्त्री जैनधर्म के अनुयायी होने के उदाहरण मिलते हैं । (लेखाक ३४, भाग २) स. १२०६ में विमल वसही तीर्थ में भमती की दरी में कंथनाथ भगवान की प्रतिमा सेढा की भार्या साह के पुत्रों ने प्रदत्त की थी। सलाट, मिस्त्री और कारीगरों के नाम भ्यानाह है । (लेांक १०४-१७५, १७९१८२, १८६-८७, ३८५-३८६, ३९०-९१ इत्यादि, भाग २) करिब ग्यारह लेखों में इनके नाम दिये गये है। एकादशी की छडी का निदेश मिलता है। (लेखाक ५२. भाग ५. स.१६८)। सत्रहवीं सदी से शुरू हुई यह परपरा आज भी कई गाँवों में प्रचलित है। . अनान करके भी व्यक्ति श्रेष्ठ बन सकता है । (लेखांक ३८१) भाग)। शाह जीवा ने ४० दिन का अनशन करके स', १६०२ में फागण कृष्ण ८मी के दिन मोक्ष प्राप्त किया था । देलवाडा में वेतांबर मंदिर तो हैं लेकिन लेखांक ४६२ (भाग २) के अनुसार सं. १४९४ में संघवी गोविंद ने जैन सच को बुलाकर दिगंबर मंदिर बनवाया था। यह एक घटना ध्यानाई है जिस से हमें दोनों संप्रदायों के अनुयायीयों के बिच सदभाव कैसा था इन की जानकारी मिलती है। माधि वी १२-१०
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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