________________
चीर-जिर्णसर -चरित
आयावतह सतह नन्थ महामुणिहि । सिय वसाह दसमिहि उत्तर- फरगुणिहि । उपपन्न र किल केवल दमणु जाणु पर। भूय- भवंतर विष्णइ पासइ रिसि-पचर ॥९२
तपाणि आगय सुर' पयर' दुदुहि अप्फालिंत । रयण-विमाण-महा- यहि महि- मंडल मंडंत ॥९३ अन सुरवरहि तुरंतदि रइउ समोसरणु । सुर समाण मा मुणि जाणषि पकु खणु । संझ-समइ पुणु धलिल 3 छत्तोच्छश्य-नहु । कंचण-कमलिहि कय कम-शुइ पर सुर-निघहु ॥९४
चामर वाय विणीय समु भामंडलि भासंतु। धम्मान गयण यहि पुर पट्टि पवितु ||९५
घारम जायण लव पत्तु पभाइ पह । पाया-नयर अनिदि किउ ओसरणु लहु । पायार-सिय तोरण घय मंगल पवरु । मणिसिंहासण भगिर ऊसिय मोयतरु ॥९६
तेहिं पुधमुह मंदियह सुर पडिचिंध करे ति । अन्न निति जिणेमरह नावि तह सोहति ॥९७ सुर-नर-तिरिग्रह कोडिल भासद धम्मु जिणु । अह नयनिति निय चच्चगि जिण कह जाय पुणु । तं सोउ' मय-उधुर दुद्धर-घयण-पह । जिण सयामि एक्कारस आइय दिय-पसह ।।९८ इंचभूतहि जेट्टयरु इय आगउ गधि | नासा सव्वन्नु तु तहि बाई माणु मलेवि ॥९९ भुषणच्छेश्य-सच्चा पेच्छवि सिरि जिणह । तहि मफुटउ तुउ नही गिर मुहह ।
९२.१ आयावेतह ९२ ३ दंम भाणु ९३.१ ३३फालिंत ९३.२ मंड'तु ९४.२ माणवि ९४.३ संजय छत्तोच. ९५.२. पहिट पहिसह । ९६.२ उतरणु, ९७१ पुवामुह “२७.२ नितिन्नि जिणे ०......नह सो. १००.१ भुवणाभूरय १००.२ सेकु-दठ मुठउ नट्ठी गिरमुह ।