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________________ वीर-जिणेसर-चरित कुंडल खोमजुयलु पुणु ठवेइ जिण सिरई । रयणाहरण- सुधन्नह हरि जिण-घरु भरइ । अह नंदीसरि जाइवि भावें जिणघरहि । तह किउ भषण-विमाणादि घरमहु सुरवरहि ॥७४ निव-कुल-भुवण-सठिएण सुर-भव-मेह-भुपण । निरु उल्लासिउ भुवण- वणु जिण-वर-अमय-जलेप ॥७५ अह किल तिमलह जग्गिउ पग्गिउ पेसजणु । यद्धायेइ नरीसर सो वि हु हिद-मणु । कद्धावण करावइ दावइ जणि अभउ । जण-सकार परिच्छ३ जच्छा पंछियउ ॥७६ नच्चिजा पुरि रायहरि गिज्मई किपि अउच्यु । अफ्फालिज्जद वरु निरु निरु विलसिज्जा दन्छु ।।७७ बारसम, दिणि पियरिहि करेषि महंतु महत्थु । वद्यमाणु इय ठाषियक णामु [...?.. ] जहत्थु । तह पद्धा सइल कंदल जिह कप्प मह । जिणपहु परिपुग्निहि पुन्नेहि तिहुयणह ॥७८ सुर-मर-पुरिसिहि " सेविय सुर-सहिय-भोगस्स । आइउ कीलासा सुहउ कुमरसणऊ जिणस्स ॥७९ जि कीलता धाडि तरुट्टिउ भुयग-सुरु । पष्ट्रि-ठिया वचत उ भिउ डिभ-सुरु । तह पुच्छिउ सइसक्खि अक्खिउ वायरणु । जोध्यणि गुरु अधित्ति जि किऊ परिणयण ॥८० सेो जिणु अणेहि दिविगहि" पूरिय नियग-पइन्नु । अध जायउ षय-गण-मणु जिणु कामहि निधिन्नु ।।८।। लोयतिय सुर आविधि, इय जिणु जणहि* सह । जय जय नंदा अय जय भदा नरवसह । दय करि धुझसु अरह भयवं लोय पहु। अग-हिंङ तित्थु पवत्तम् उद्धरु भघिय लहु ।।८२ ७४.१ जिणु सिरे ७४.२ भरेइ ७४.४ चरमहु ७५.१ भूवल सठिएण...मेहचपण ७६.३ जणियभड ७७.२ अफालिजई ७८.१ पारसमप दिणि.. करेवि महंतु महत्त । ७९.१ सुरनरनारिसिहिं ८०.२ पेरिठ...वभिउ डिम्भ ८१.१ दिविहि...नियग ए इंतु । ८१.२ निम्वित ८२.१ सुतिय सुर...भरवसन । ८२.३अग्हत ८२४ पवत्तस्स
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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