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________________ वीर-जिणेसर-चरित ३७ लूहहि अगु जिणिदह सुह-कासाइयष्टि । गोसीस विलिपहि कुकुम-मीसिया । तो मल्लेहि उमालहि परिमल मणहरहि । तिहुयण-भूसणु भूसहि भासुर-भूसणहि ॥५६ कणयकति जिणपहु सहइ भूसण-भूसिय-देहु । पडिबिंबिय-तारा-नियरु ण सुरगिरि किर पहु ॥५७ अट्ठोत्तरि सइ चित्तह शुणइ जिणिटु हरि । वाम जाणु आउ'चिवि अंजलि धरिवि सिरि । तुम्ह णमो जिण जाणय सबुद्धाइगर । तुम्ह णमो सिवगामिय सामिय तित्थयर ॥५८ हरि-हर-बंभ-पुरंदरह माण-घिहंडणु कामु । जो तथ-खगि निजिणइ सो जिणु जयउ सुनामु ॥५९ जय तिहुषण-सर-पंकय-घयण-घर [? मणहर] । जय तिहुषण कप्पदुम विदुमसम-अहर । जय तिवण-करुणायर णायर-फलिह-भुय । जय तिवण-चिय-मोहिय सोहिय-पाणि पय ॥६० देवह अणमिस-लोयणइ' इंव नयण सहस्स। प पेच्छंतह स्वनिहि सहलीहूउ अवस्स ॥६१ तिवण-वेरि-वियारण कारण सिव-सुहह । तिवण-भाव-वियारण दारण भव-दुहह । तिवण-लच्छिहि कुलहर सेहर तिहुवणह । तुम्ह णमोऽतुल-बीरिय ईरिय-कुनय-पह ॥६२ पवयण-मंडलि जिण-रधिहि णय-सय-किरणा-सहम्सि फुरियइ तित्थिय-तारयह कउ पसरहिं मय-रस्सि ॥६३ तुम्ह नमो पुरिसोत्तिम नित्तम लोय-हिय । लोय-पईव पसंतय बोहिय-भषिय-जिय । अणुवम-पुन्न-महाभर जसभर-भरिय जय । पर-गुण दोस-विवज्जिय रंजिय-तियस-नय ॥६४ ५६ १ कासाइयह -५६.३ महिलहि...मणहरे हि ५७.२ पडिविविय ६०.४ तिहुयणे विय० ६१.१ लोवणई... सहस्सु ६४.१ लेयहिया ६४.२ पेसंत पवेहिय भविय । जिण अणु० ६४.३ मरिय हुय
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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