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________________ ३६ अभयदेवसूरि- विरइउ दसलय - लोयणु तेण तर संजायक सुरराउ | sessive इति हि पेष्छिास्सामि वराउ ||४७ तिहुणु सलु वि इदि जोइयउ | पहु सामत्थु जिदिह नन्नह जाणियउ । हा दढ - मूर्ति मिच्छा जे मइँ मन्नियत । सयल जिविंद होंति समाउ सत्तिय ॥४८ जिण - सामत्थि विआणिय आगय बहु-गुण- भत्ति । जिण मज्जणु सव्वायरेण सुरवर करहिं झडति ॥४९ पदम कि मज्ज दे सामियहि । अवुह (?) मणिमय पमुहिं कलसेहिं सहसे हि । हरिण घणा घुसिम्मीमहि । Hola - सिद्धय तित्थ य पाणियहि ||५० अहिसिंचहि जिण कप्पतरु हेल्लइ जलु मेल्लंत । हत्थ इच्छिय वर - फलइँ नं सुरवर इच्छत ॥५१ तर्हि वायति चविहु अहिणयहि [...... ?] सुर गायंति चउबिहु भूसिउ जिण-गुणिहि । जय जय स उ जहि गुंजइ थुइ सयई । हरिसुरिसिं मेल्लहि सीहनिनाय ॥५२ जिण लावन्न - मह सेवई नयण-दलेहि पिचि । तर मय-परवस सुर - विसर णञ्चहिं भुय उन्भेवि ॥५३ मगलु गउ जिह गज्जहि ँ हय देस सुयहि ँ । भूमि देत चड रहु जिह घणघणई' | बिज्जुन्जोउ करेति य देति य जल-परिसु । ae aoris ितिर छिंदहि सामरिसु ॥ ५४ अहिणव - हरिसवसुदर ते सुर किं न करेंति । अन्न व जण निय- कन्जे पर परिसय च्चिय होंति ॥५५ ४७.२ पेच्छिामि ४८.१ उहिं ४८.२ प ४८.४ जिणेदह... सत्तिउय ५०.१-२ गणु इंदे अवुह मणिमय पमुहेहे कलशे हे महमे हे सामियहिं । ५१.२ तं ५२.१ अहिपेयहं । ५२.३ जुंजह ५३.१ पिपवि । ५३.२ नई... वहि
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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