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वीर-जिनेसर-चरि
कुलसेलह किल कुसुमहँ मालउ चालियउ । सिद्धत्थ य सम्वोसहि देशसहि धज्जियउ । मण-आणंदणु चंदणु निउ गंदणवणेहि । महियलु सुर आहिडिवि आइय सुर्रागरिहि ॥३८
जिण-चूडामणि धरिवि सिरि जायउ तिहुवणि राउ। सयल असुर-सुरेसरहि जं सेविउ गिरिराउ ॥३९ एत्यंतरि किर चिंतिउ पासव एहु जिणु । किह मज्जणु सुर-सहसह सहिसी तणुय-तणु । त मणु मुणिवि मुर्णिदें निय-बलु दरिसियऊ । लहु--चलणग्गिं चपिवि सुरगिरि चालिय 3 ॥४० जिणावर-लच्छि-नियंतियए विम्ध्यि रस-भरियाए । तरुवर-सिररुहु मेरु-सिस नं विनियउधराए ||४१ .
तेण चलंतई पेल्लिय हल्लिय सयल धर झल्लझल्लिय महल्लि व मेल्लिषि मयरहर । तहि खडिय तडपपडिय कड तिय गिरि-सिहर । निरु उठवेल्लिय पेल्लिय वेल्ला नई-नियर ॥४२
अह निय-नाहह जम्म-महि हरिसुम्माय-वसैण । विसारस-करणिहि तच्छियउँ णं णच्चियउँ जगेण ||४३
उल्लूरिय वेलावण भूलिलहि दिसिगहि । भय-उभंतहि भमियउ हि निरु तारहि । भमडिउ तह दिसिचक्कु वि अक्कु वि संकियउ । असुरगणु सकुद्धउ मुद्धउ सुर-हियउ ॥४४ लीला-विलसिउ पउ जिणह न य सुविवि समत्थु । सुरगिरि दंड उच्छत्त घर पउ जिण करण समस्र्थे ।।४५
पुणु सक्केण विक्खिउ धकउ केण किउ । कि सुरि केणा दप्पें अपपऊ खयह नि । कि केणा खल-खरि कालु खलीकयउ । श्य रोसारुग-नयणिं दिसउ पलोइयउ ॥४६
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३८.२ दोसेहिं ३९.२ सयर ४२.१ पेलिल हल्लिय ४३.२ तश्चिय