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वीर - जिनेसर- चरिउ
जे सुरवर पय-पंकयइँ कह विन घरहि घरैति । सिरु घरि घरिणिह हरिसवस ते जिणवरु वदति ॥ १९
पहु आप सिसमय - घंटउ ताडियs । रणरण-स सलु वि तिवणु पूरियउ । भुषण विमाणेहिं रहषसु सुरयणु बोहियउ । जाणवि जिणवर - मज्जणु मेरुहुँ चल्लियउ || २०
सग्ग- सरेरावरि देवगण परमहं वियलिय क्षत्ति । भव- टिय जिण - रवि पुन्न-कर पसरह पेच्छु जस ति ॥२१
चल्लिय णल्लिषि वल्लह - विलय भुयंतरई । छडिवि इत्थिय अच्छर पीण-पओहरइँ | णार - तु बुरु-गीयइँ घीण - उमुच्छिउ । चिड - कडक्खुक्खेव समुन्भड पट्टियउ ॥२२
धर- सरवरि जिण-पय-कमल-सेवा- रसिय-मणाहँ । भवण - विमाणसु कुसुम रद्द तुट्टी सुर- भमराह ॥२३ सुषि कंठाse ( ) मेल्लिवि गोडियउ | जल - हिंडोला - फील्ड लील उगारियउ (2) । अह भक्तिभर - निभर चल्लिय भूरि सुर ।
जलहिं [...?...] सिंह - निनाथ पर ||२४ जिण - जोगिय- पुन्नक्खरह पेच्छु अपुव्विय सत्ति । जं सुरयण हल्लोहलिङ आइज धरहि झड ति ||२५ उच्छु- चिंघ-समुदुरि खिखिणि-र-मुहलि | मणिमय - तोरण- मणहरि रंजिय-गयणय लि । जोयण - लक्ख- पमाणि सुमाणि विमाणि वरि । डिवि पुरंदरु सुंदरु पत्तउ जिगह घरि ॥ २६ जिणवरि जाय धरणियलु जायउ सग्ग-समाणु । होइ च्चिय चंदुग्गर्माण गयणु पमोयह ठाणु ॥२७ इंदु पयादिण देषिणु वंदर जिण-जणणि । 'तुम्ह नमोत्थु जिणेसर- पोक्खर पाक्खरिणि ।
२०.२ विहुव २०.३ भुवणु, २१.१ देवमण २१.२ पुत्तकर
२१.२ विमा... तुम्ही... २६.२ मणिहरि अव १२–५
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२२.२ पठहरहिं