________________
लघु श्रीपालरास
राणी कहइ नृप कासि न पीडीयइ, तउ मुनि दुख देई किम क्रीडीयइ । 1 मुनि हौलावी हानि लहीयइ, रोगी थईया रे हास्य न कीजीयइ । जो साधु नदी पाडीयई वध-बंधना. ताडणादिक थकी 2खायइ । रोग सगला संधिनी साधु नद, दुख दीयां दुखीयउ थाइ ते 4निश्चइ सही। इम सुणी आवी काइक समता, सीख राणीनी ग्रही ॥५६॥
एक दिन गउखइ बहठउ नरपती, मल सोभित नयणे दीठऊ जती ।
एआवतउ रे वारठ डूंबडउ, नगर विटाल्यउ रे एहनइ । मत अडउ तु मत अडउ, पुरथी परउ काढउ, रायनइ राणी कहइ । धिक्कार तुझ नइ पडउ राजन, साधु नइ निदइ ग्रहइ । संगिवी ति भ्रछीय नृप, पाय पडीयउ मुनि तणइ । 'तुम तणी. भगवन करी हीला, श्रीमती इणि परि भणइ ॥५७॥
तारउ तारउ भगवन करि मया, करुणासागर भाखड करि दया । सिद्धचक्र सुविधा आराहीयइ, पातक टाली सिवपद पाईयई । पाईयइ सिवपद राय राणी, सुगुरु वयणे आदरयऊ । आठ राणी तणी सहीयर. तास अनुमोदन करयउ । उजम्युतप करीय पुरु, वठ सात सयां सहु । धर्म कार्य नरेन्द्र केरां, भाव अनुमोद्या बहु ॥५८॥
स्वामि वयण सय सात मिली करी, सिंहराय नइ गाम मया अरी । लूटी लगडी गोधन लेई वल्या, १सिंहराय लसकर आवी मिल्या । आवी मिल्या संग्राम करतां, सात सय सिंघइ हण्या । सहु मरी क्षत्री कुलई जाया, साधु नई जे अवगण्या । कोढी कह्यांथी थया कोढी, सिद्धचक्र आराधना । तु थयउ ए श्रीपाल राजा, पुन्यनी ए साधना ॥५९॥
श्रीमती राणी मयणा ए थई, जलपीडा मुनिवर नइ जे देई । तिणि पातक थी तु सायर. पडय उ, ईब कह्या थी तु थयउ इंबडो । तु थयो कोढी कोढीयउ मुनि नइ कह्यउ, श्रीमती वयण प्रथम पूज्यउ ।
..
1 कीजीयइ जउ साधु निंदा B 2 वीहे कण द्यायइ B 3 सगली B 4 निश्च ते B 5 तुम्ह B 6 हीली A 7 वेठ B 8 बहू B 9 सिंघ A
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org